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हापुड़ की आरती अपनी बुजुर्ग सास को पालकी पर बिठाकर करा रही कांवड़ यात्रा

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हरिद्वार, 8 जुलाई। उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. कांवड़ मेला 11 जुलाई से शुरू होने वाला है, लेकिन अति उत्साही कांवड़िए पहले ही हरिद्वार पहुंचकर गंगाजल ले जा रहे हैं. कांवड़ के दौरान एक से बढ़कर एक रंग भी देखने को मिल रहे हैं. उत्तर प्रदेश से एक महिला अपने बच्चों के साथ अपनी सास को कांवड़ पर बिठाकर हरिद्वार आई है. सास को कांवड़ पर बिठाई बहू और नाती-पोतों की तस्वीरें लोगों को खूब पसंद आ रही हैं.

सास को पालकी पर बिठाकर कांवड़ यात्रा करा रही बहू आरती
कांवड़ यात्रा के दौरान आपने कई श्रवण कुमार देखे होंगे जो अपने मााता-पिता को अपने कंधों पर बिठाकर कांवड़ यात्रा कराते हैं. आज हम आपको उत्तर प्रदेश हापुड़ की एक महिला से मिलवाने जा रहे हैं, जो महिला होने के साथ साथ बहू भी है. ये बहू अपने बच्चों के साथ अपनी सास को कांवड़ यात्रा करा रही है.

हरिद्वार में हर की पैड़ी से गंगाजल भरकर बुजुर्ग सास को पालकी पर बैठाए, हरिद्वार से हापुड़ के लिए जा रही मां-बेटी चर्चा का विषय बनी हुई हैं. दरअसल हापुड़ की रहने वाली आरती अपनी दो बेटियों ओर भतीजे के साथ अपनी सास पुष्पा को पालकी पर बैठा कर कांवड़ यात्रा करा रही हैं. बहू आरती का कहना है कि-भगवान भोले ही हैं जो किसी भी व्यक्ति की बुद्धि को सही या गलत दिशा में ले जाते हैं. यह अच्छा है जो भगवान ने उनको यह अच्छा काम करने की बुद्धि दी है. उनका कहना है कि हर कोई अपने मां-बाप को तो यात्रा करता ही है, लेकिन मैंने समझा कि मेरी सास का मन भी कांवड़ यात्रा करने का है तो अपनी बेटियों और भतीजे के साथ उन्हें कांवड़ पर बिठाकर हरिद्वार ले आई.
आरती, यूपी से आई कांवड़िया

वहीं आरती की सास का कहना है कि-मैं अपनी बहू ओर पोतियों से बहुत प्यार करती हूं. मेरी बहू भी मुझसे बहुत प्यार करती है. इसलिये ही मेरी बहू कांवड़ मुझे यात्रा पर लाई है. मैंने बहू से कहा था कि यह कार्य उससे नहीं हो पायेगा, परंतु बहू ने यह कर दिखाया है और वह उनको यात्रा करा रही है.
पुष्पा, आरती की सास

11 जुलाई से शुरू हो रही है कांवड़ यात्रा
आपको बता दें कि 11 जुलाई से सावन मास की शुरुआत होने जा रही है. ऐसे में शिव भक्त कांवड़िया अपने-अपने घरों से गंगाजल भरने के लिए हरिद्वार पहुंचने लगे हैं. कांवड़िए अपने आराध्य भगवान भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करते हैं. हरिद्वार, गंगोत्री और ऋषिकेश से गंगाजल लेकर वो अपने घर और गांव के शिव मंदिरों में ये गंगाजल चढ़ाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. चार महीने यानी चातुर्मास तक उनका ये योग निद्रा काल चलता है. इस दौरान भगवान शिव संसार की देखभाल करते हैं. सावन में भगवान शिव की पूजा करने से बहुत ज्यादा पुण्य मिलता है.देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/

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