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CBSE ही नहीं, सभी बोर्ड कराएंगे साल में 2 बार परीक्षा? एग्जाम-मार्किंग पैटर्न बदलेगा

नई दिल्ली, 17 जुलाई। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय बीते कई सालों के देश के 66 शिक्षा बोर्ड के रिजल्ट का विश्लेषण कर रहा है, जिसमें कई बोर्ड के रिजल्ट में काफी अंतर मिल रहा है। विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि बोर्डों के करिकुलम में भी समानता नहीं होने से रिजल्ट में अंतर बढ़ जाता है। इसी मसले पर चर्चा करते हुए मंत्रालय ने देश के शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई, एनसीईआरटी, मंत्रालय के सीनियर अधिकारियों की बैठक की और कई अहम मुद्दों पर फैसले भी लिए गए।
शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग में सचिव संजय कुमार का कहना है कि एनसीईआरटी के संगठन परख ने राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 किया है, जिसके निष्कर्षों को सभी बोर्ड को देखना चाहिए। स्कूल बोर्डों में पाठ्यक्रम और मूल्यांकन में समानता लानी होगी और इसके लिए एक रणनीतिक रोडमैप पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सीबीएसई ने 2026 से दसवीं क्लास में एक वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा का फैसला किया है, उसी तरह की योजना पर दूसरे बोर्ड भी काम करें, इससे छात्रों को फायदा होगा।
छात्रों को मिलेगा स्किल कोर्सेज चुनने का मौका
शिक्षा सचिव ने कहा कि सभी शिक्षा बोर्ड को नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग ( NCVET ) में रजिस्टर्ड करवाया जा रहा है ताकि छात्रों को स्किल कोर्सेज का विकल्प चुनने का मौका मिले। यह एक बड़ा कदम है क्योंकि स्किल कोर्सेज को बढ़ावा देने के लिए स्कूल बोर्डों का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। रिजल्ट में अंतर क्यों होता है, यह समझना जरूरी है। इसके लिए करिकुलम से लेकर असेसमेंट का पैटर्न भी देखना होता है।
पारदर्शी नियम और क्वालिटी एजुकेशन
शिक्षा मंत्रालय का यही लक्ष्य है कि बोर्ड के करिकुलम और असेसमेंट पैटर्न में जहां तक संभव हो, समानता लाई जाए। इसके बाद छात्रों को बराबरी के मौके मिलेंगे। छात्र मूल्यांकन में निष्पक्षता और स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना होगा। सभी स्कूल बोर्ड पारदर्शी रेगुलेशंस और स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन को लेकर न्यूनतम गुणवत्ता बेंचमार्क को पूरा करें। हर बोर्ड के छात्रों को कॉमन प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए असेसमेंट के तरीकों में भी समानता जरूरी है।
नई शिक्षा नीति में आए कई बदलाव
राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब केवल बोर्ड परीक्षा के पैटर्न में ही बदलाव नहीं होंगे, बल्कि हर क्लास में असेसमेंट की प्रक्रिया की समीक्षा करनी होगी। क्वॉलिटी क्वेश्चन पेपर्स तैयार किए जाने चाहिए। संस्थागत स्व-मूल्यांकन, शिक्षक क्षमता विकास और डेटा पारदर्शिता पर जोर दिया गया।
सामान्य और व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ने के लिए बोर्ड अपनी तैयारी करेंगे। व्यावसायिक प्रमाण-पत्र प्रदान करने के लिए स्कूल बोर्डों को सशक्त बनाने से कौशल-आधारित शिक्षा तक पहुंच में सुधार होगा, रोजगार और आजीवन सीखने पर राष्ट्रीय उद्देश्यों के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी।