नए सत्र के लिए समय से मिलेंगी निशुल्क पुस्तकें, प्रकाशन की प्रक्रिया इसी महीने से शुरू

देहरादून, 22 जुलाई। राज्य के 9.74 लाख से अधिक विद्यार्थियों को अब निशुल्क पाठ्य पुस्तकों के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने इस दिशा में समय रहते ठोस पहल की है। शासकीय और सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के पहली से 12वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को हर वर्ष मिलने वाली 82.44 लाख पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन की प्रक्रिया इस बार छह माह पहले जुलाई माह से ही प्रारंभ कर दी गई है। इससे एक अप्रैल से शुरू होने वाले नये शिक्षा सत्र से पहले ही सभी छात्रों के हाथों में पाठ्य-पुस्तकें होंगी।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने 9.74 छात्रों की पाठ्य पुस्तकों के प्रकाशन के लिए 118.69 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इससे पुस्तक प्रकाशन के दूसरी चरण की प्रक्रिया समय पर शुरू की जा सकेगी। इससे पहले यह प्रस्ताव दिसंबर माह में शासन को भेजा जाता था। इससे प्रकाशन में देरी होने के कारण पाठ्य पुस्तकें छात्रों को जुलाई-अगस्त माह तक भी नहीं मिल पा रही थीं, जबकि शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से प्रारंभ होता है। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होने के साथ ही शिक्षकों के सामने पाठ्यक्रम को निर्धारित समय पर पूरा करने की चुनौती रहती थी।
इस बार विभाग की मंशा है कि सत्र आरंभ होते ही छात्र-छात्राओं को निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पुस्तकें समय पर छपकर जिलों तक पहुंचेंगी तो उनका वितरण भी समय पर संभव हो सकेगा। इससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने जुलाई प्रथम सप्ताह में सभी जिलों से पहली से आठवीं और नौवीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या और अनुमानित पाठ्यपुस्तक की संख्या का विवरण मांगा है। 10 जुलाई तक सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों ने मांगी गई रिपोर्ट तैयार कर प्रेषित कर दी। जिसके बाद निदेशालय ने छात्र संख्या और कुल प्रकाशित होने वाली किताबों का आंकड़े तैयार किए और रिपोर्ट को शासन को भेज दी है।
‘प्रदेश के 9.74 लाख छात्र-छात्राओं को अगले सत्र के पहले दिन निशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएंगी। छात्रों की संख्या के अनुरूप 82 लाख 44 हजार किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया का दूसरा चरण प्रारंभ होगा। 118 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसमें जीएसटी और एनसीईटीआरटी की 18 प्रतिशत रायल्टी भी शामिल है। कोई तकनीकी पेच न फंसे, इसे देखते हुए प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है।’
– डा. मुकुल कुमार सती, निदेशक माध्यमिक शिक्षा