
देहरादून, 24 जुलाई। उत्तराखंड चारधाम यात्रा को लेकर लगातार हर साल श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ रहा है. हर साल औसतन 50 लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं. यह संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है. सबसे ज्यादा श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंचते हैं. साल 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ यात्रा मार्ग और भी ज्यादा लंबा और कठिन हो गया है. ऐसे में भारत सरकार ने जिस कवायद को साल 2022 में शुरू किया था, अब उस पर अंतिम मुहर लग गई है. भारत सरकार केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की सुविधा और यात्रा को सुगम बनाने के लिए एक 7 किलोमीटर की लंबी टनल बनाने की प्लानिंग में अंतिम कदम रख चुकी है.
टनल से मिलेगी भक्तों को चढ़ाई से राहत
साल 2013 की आपदा के दौरान कई श्रद्धालुओं की मौत हुई थी. आपदा के बाद कई सालों तक श्रद्धालुओं के कंकाल केदारनाथ पैदल मार्ग पर मिलते रहे. केदारनाथ आपदा के बाद सरकार ने नए रास्ते के जरिए श्रद्धालुओं को भेजना शुरू किया. परंतु यह रास्ता और भी लंबा हो गया. अब भारत सरकार के केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने केदारनाथ तक सुरंग बनाने का प्लान तैयार किया है.
टनल के रास्ते में न रामबाड़ा आयेगा और न गौरीकुंड, सोनप्रयाग
इस टनल के बनने से ना तो रास्ते में रामबाड़ा आएगा और ना ही सोनप्रयाग और गौरीकुंड. फिलहाल अभी ये साफ नहीं है कि इस टनल का काम कब तक शुरू होगा? लेकिन अगर टनल बनती है तो केदारनाथ तक का सफर पैदल मार्ग से बेहद कम हो जाएगा. इसके साथ ही माल की आवाजाही भी बेहद आसान हो जाएगी. अभी बेहद मुश्किल से सामान केदारनाथ धाम तक पहुंचता है. हालांकि अभी टनल के लिए सर्वे वाहन और पैदल दोनों ही पहलूओं को लेकर किया गया है.
केदारनाथ और बदरीनाथ को लेकर केंद्र सरकार का विजन बेहद अलग है. खुद पीएम यहां के कामों पर नजर रखते हैं. इसलिए टनल से लेकर रोपवे जो भी काम केदारनाथ और बदरीनाथ में होंगे, दुनिया के सबसे बेहतर कामों में से एक होंगे.
-सतपाल महाराज, पर्टयन मंत्री, उत्तराखंड सरकार
ब्लू प्रिंट तैयार
केदारनाथ के लिए टनल बनने के बाद श्रद्धालुओं की गाड़ी केदारनाथ के बेहद करीब तक जा जाएगी और उसके बाद मात्र 5 किलोमीटर की पैदल यात्रा श्रद्धालुओं को करनी होगी. इसमें लगभग डेढ़ से 2 घंटे का समय लगेगा. जबकि टनल बनने से लगभग 6 घंटे का सफर कम हो जाएगा. साल 2024 में केंद्रीय सड़क मंत्रालय की एक टीम ने इस पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण किया था और तब यह पाया था कि यह जगह टनल बनने के लिए बेहतर है. बाकायदा इसका एक ब्लूप्रिंट भी तैयार कर लिया गया है. इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने उत्तराखंड सरकार से भी इस बाबत जानकारी मांगी थी. जिसकी रिपोर्ट सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी.
अभी एक टनल हो गई तैयार
रुद्रप्रयाग और बदरीनाथ हाईवे को आपस में जोड़ने के लिए भी एक टनल का काम पूरा हो गया है. यह 900 मीटर की टनल बनने के बाद यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को काफी फायदा मिलेगा.
रोपवे को कैबिनेट से मिल चुकी है हरी झंडी
भारत सरकार, केदारनाथ को रोपवे से जोड़ने के प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही है. इस रोपवे के बनने के बाद 9 घंटे की चढ़ाई मात्र 40 मिनट में पूरी हो जाएगी. सोनप्रयाग से केदारनाथ तक लगभग 12.9 किलोमीटर के रस्सी प्रोजेक्ट की मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट ने साल 2025 की शुरुआती दिनों में ही दे दी थी. अभी श्रद्धालुओं को 18 किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ता है. रोपवे बनने के बाद मात्र 40 मिनट में श्रद्धालु सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम पहुंच जाएंगे. इस प्रोजेक्ट के तहत 1 घंटे में लगभग 1800 श्रद्धालु रोपवे से केदारनाथ धाम पहुंच सकेंगे. साल 2031 तक इसका काम पूरा होना है.
भारत सरकार के सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के द्वारा चौमासी से लेकर लिनचोली तक पहाड़ का सर्वे पूरा कर लिया गया है. पहले टनल का काम या कहें कि सर्वे गौरीकुंड से रामबाड़ा तक होना था. लेकिन अब जिस मार्ग का सर्वे किया गया है, उस मार्ग पर इस बात को सुनिश्चित कर लिया गया है कि कोई भी भूस्खलन या पहाड़ दरकने जैसी घटना इस क्षेत्र में नहीं होगी अगर टनल तैयार होती है.
-ओमकार पांडे, अधिशासी अभियंता , नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया