दो जगह मतदाता सूची में नाम होने वाले प्रत्याशियों का निर्वाचन होगा रद्द : हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

नैनीताल, 13 अगस्त। उत्तराखंड हाईकोर्ट में बीडीसी चुनाव में पराजित प्रत्याशियों द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद इन मामलों को चुनाव याचिका के रूप में प्रस्तुत करने को कहा है. साथ ही कहा कि इन चुनाव याचिकाओं का 6 माह के भीतर निस्तारण किया जाए. कोर्ट ने किसी भी याचिका में अंतरिम आदेश नहीं दिया है. इन याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई.
मामले के अनुसार, पौढ़ी गढ़वाल निवासी दीक्षा नेगी, टिहरी निवासी नीरू चौधरी और उत्तरकाशी निवासी उषा ने अपनी याचिका में कहा कि वे बीडीसी सदस्य का चुनाव हारे हैं और उनके खिलाफ जो प्रत्याशी जीते हैं, उनके दो जगह की मतदाता सूची में नाम थे. इसलिए उनका निर्वाचन रद्द किया जाए और उन्हें 14 अगस्त को ब्लॉक प्रमुख, ज्येष्ठ प्रमुख और कनिष्ठ प्रमुख के चुनाव में मतदान करने से रोका जाए. जबकि वर्षा राणा, गंगा नेगी, कनिका, त्रिलोक बिष्ट ने कहा कि वे चुनाव जीते हैं. लेकिन उनके खिलाफ लड़ रहे प्रत्याशी दूसरे क्षेत्र से चुनाव जीते हैं. जिनके दो मतदाता सूची में नाम थे. इसलिए उनका निर्वाचन रद्द किया जाए और उन्हें भी 14 अगस्त को होने वाले ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में मतदान करने से रोका जाए.
याचिकाकर्ताओं के अनुसार हाईकोर्ट ने 11 जुलाई 2025 को शक्ति सिंह बर्त्वाल की याचिका में अंतरिम आदेश जारी कर राज्य निर्वाचन आयोग के सर्कुलर पर रोक लगा दी थी. जिसमें आयोग ने दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले व्यक्ति को मतदान करने और चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी थी. लेकिन तब चुनाव आयोग ने 11 जुलाई तक त्रिस्तरीय पंचायत हेतु नामांकन प्रक्रिया हो जाने के कारण निर्वाचन प्रक्रिया जारी रखी. जिसके बाद दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले व्यक्ति चुनाव में भाग लेने में सफल रहे. जिन्हें अब चुनाव याचिकाओं के रूप में बड़े स्तर पर हाईकोर्ट में चुनौती मिल रही है.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने यह तथ्य रखा कि, ठीक है वे चुनाव हार गए. उसके बाद अगर चुनाव को वे चुनौती देते हैं तो उसका निर्णय पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी नहीं आता और कोर्ट में मामला चलता रहता है. जिसपर आज कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा कि चुनाव से संबंधित जो भी याचिकाएं दायर होंगी, उनका निस्तारण 6 माह के भीतर होगा. जो प्रत्याशी नियमों, शर्तों के अनुसार जीता है, वह कार्यकाल पूरा करेगा. अगर नियमों के विरुद्ध जीता है तो उसका कार्यकाल निर्णय आने के बाद रद्द होगा.