पूर्णागिरि मेले के पहले दिन 40 हजार भक्तों ने किए दर्शन
टनकपुर। पूर्णागिरि का प्रसिद्ध मेला कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के ठुलीगाड़ में रिबन काटते ही शुरू हो गया। यह मेला तीन महीने तक चलता है। पहले दिन ठुलीगाड़ में महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली और छोलिया नृत्य की छटा बिखेरी।
मां पूर्णागिरि मेला उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। यूपी बिहार से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन को आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती की नाभि का हिस्सा गिरा था। शक्तिपीठों में से एक इस शक्तिपीठ की मान्यता है कि जो भी भक्त यहां आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
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मां पूर्णागिरि धाम मेले में तीर्थयात्रियों के लिए जीप, टैक्सियों के अलावा रोडवेज ने एक दर्जन बसें इस रूट पर चलाई हैं। रेलवे भी कासगंज-टनकपुर-कासगंज के बीच 15 जून तक तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए मेला स्पेशल सवारी गाड़ी चला रहा है। पिछले दो साल से कोरोना की वजह से मेले की गतिविधियां ठप थीं। देवी मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ शुक्रवार से ही पहुंचने लगी थी। ठुलीगाड़, भैरव मंदिर और काली मंदिर में खोया-पाया केंद्र बनाया गया है। मेले में स्वास्थ्य शिविर के अलावा 21 किमी. हिस्से में प्रकाश की व्यवस्था की गई है। मेला मजिस्ट्रेट हिमांशु कफल्टिया का कहना है कि मेले की खामियों को दूर कर श्रद्धालुओं को अधिकतम सुविधा दी जाएगी।