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पिथौरागढ़ में भूकंप के झटके, नेपाल, बरेली, तक हिली धरती

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पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ में भूकंप के झटके सुबह लगभग 10.30 बजे महसूस किए गये। काफी देर तक धरती डोलती रही। इसकी तीव्रता 4.6 थी। पिथौरागढ़ से 20 किलोमीटर दूरी पर इसका केंद्र था। भूकंप का केंद्र धरती की सतह से 5 किलोमीटर गहराई में था।

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मौसम विभाग के अनुसार भूकंप की तीव्रता 4.6 मैग्नीट्यूड व गहराई पांच किलोमीटर रही। भूकंप का प्रभाव उत्तर प्रदेश के मुराबाद, बरेली, लखीमपर खीरी, हरदोई, इटावा के अलावा भारत से लगे नेपाल के कई हिस्सों तक रहा। जिला आपदा विभाग की ओर से किसी तरह के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।

उत्तराखंड भूकंप का केंद्र बनता जा रहा
वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बहादर सिंह कोटलिया का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में लंबे समय से धरती के भीतर जमी ऊर्जा बाहर नहीं निकली है। ये ऊर्जा इन्हीं फाल्ट्स के साथ भूकंप के रूप में बाहर निकलती है। इसी कारण उत्तराखंड में भूकंप ज्यादा सक्रिय रहने लगे हैं। जो भविष्य के लिए खतरे के संकेत हैं।

रिक्टस्केल क्या होता है
भूकंप मापने के पैमाने को रिक्टरस्केल कहा जाता है। यह भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है। रिक्‍टर स्‍केल पर जितना ज्‍यादा भूकंप मापा जाता है। उतना ही अधिक जमीन के अंदर कंपन उत्पन्न होता है।

अमेरिकी भौतिक विज्ञानी चार्ल्स एफ रिक्टर के नाम पर इसका नाम रिक्टरस्केल रखा गया। उन्होंने ही इसकी खोज की थी। चार्ल्स रिक्टर कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी में शोधरत थे। इस पैमाने का सबसे पहले प्रयोग 1935 में किया गया।

आखिर क्यों आता है भूकंप
हमारी पूरी पृथ्वी 12 टैक्टोनिक प्लेट पर टिकी है। इन प्‍लेट्स के नीचे लावा बहता है। जब ये प्‍लेट्स हिलती हैं और एकदूसरे से टकराती हैं तो धरती की सतहपर कंपन होता है। इसे ही सामान्य भाषा में हम भूकंप कहते हैं। इनका खिसकना, टकराना एक प्राकृतिक घटना है।

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