अरे भाई! शेर के दांत होंगे तो: अनुपम खेर

नई दिल्ली। अरे भाई! शेर के दांत होंगे तो दिखाएगा ही। जब से राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ का अनावरण हुआ है तब से राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। जहां विपक्षी दल अशोक स्तंभ में शेर की आकृति पर आपत्ति जता रहे हैं कि नये राष्ट्रीय चिन्ह में शेर को आक्रामक दिखाया गया है, जबकि असल में शेर सौम्य दिखाई देते हैं।
एक नजर अशोक स्तंभ पर
संसद की नई बिल्डिंग में लगने वाले अशोक स्तंभ का वजन 9500 किलो, लंबाई 6.5 मीटर और इसके चारों ओर स्टील का सपोर्टिंग स्ट्रक्चर बनाया गया है। यह जमीन 108 फीट ऊंचा है। 100 से ज्यादा कारीगरों ने करीब 9 महीने में इसे तैयार किया है। यह भारत के राष्ट्रपति की अधिकारिक मुहर होती है। आईपीएस अधिकारी भी इसे टोपी में लगाते हैं। इस चिन्ह का इस्तेमाल केवल संवैधानिक पद बैठे लोग ही कर सकते हैं।
उठे राजनीतिक विवाद के बाद अब इसमें बालीवुड सितारों तक कई लोग भाजपा के समर्थन में आ खड़े हुए हैं।
अर्बन नक्सलियों को बेवकूफ…
द कश्मीर फाइल्स के निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीट कर लिखा, ‘सेंट्रल विस्टा पर लगे नए राष्ट्रीय प्रतीक ने एक बात साबित कर दी है कि सिर्फ एंगल बदलकर अर्बन नक्सलियों को बेवकूफ बनाया जा सकता है। विशेष रूप से लो एंगल।’
स्वतंत्र भारत का शेर है
इसके अलावा द कश्मीर फाइल्स फेम अभिनेता अनुपम खेर ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। अभिनेता ने लिखा, ‘अरे भाई! शेर के दांत होंगे तो दिखाएगा ही! आख़िरकार स्वतंत्र भारत का शेर है। ज़रूरत पड़ी तो काट भी सकता है! जय हिंद!’
इसे पालतू जानवर न समझें
वहीं एक अन्य ट्वीट में विवेक ने वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण को कोट-ट्वीट करते हुए लिखा, ‘अर्बन नक्सलियों को बिना दांतों वाला खामोश शेर चाहिए। ताकि वे इसे पालतू जानवर की तरह इस्तेमाल कर सकें।’