एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: जल जीवन मिशन पर यमकेश्वर ब्लाक ग्राम प्रतिनिधियों से सीधी बात
देहरादून। जल जीवन मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को की थी। इस मिशन के अन्तर्गत भारत के सभी दूरदराज के गांवों के हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य 2024 तक पूरा किया जाएगा। जल जीवन मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए केंद्र, राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश मिलकर काम कर रहे हैं। यह मिशन पेयजल को आम लोगों तक आसानी से पहुंचाने के साथ-साथ दीर्घ कालिक जल श्रोतों का निर्माण, जल संरक्षण, प्रदूषण रहित जल की पहचान, जल प्रबंधन आदि की कार्य योजना पर कार्य करता है। जल शक्ति मंत्रालय के आकड़ों के अनुसार देश में 18,99,85,096 परिवारों को पेय जल के लिए घरेलू नल कनेक्शन पहुंचाना बाकी है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार 2024 तक सभी परिवारों को पेयजल मुहैय्या करवाएगी। प्रदेश में आगामी 2023 तक हर घर को पीने का पानी मिलेगा, ऐसे प्रदेश सरकार की योजना है। जल जीवन मिशन के तहत इस पर तेजी से काम हो रहा है। पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने निर्देश दिए हैं कि जिन जिलों का अभी तक पांच करोड़ से ऊपर की विस्तृत परियोजना (डीपीसी) तैयार नहीं हुई है, वहां 15 दिन के भीतर काम पूरा किया जाए।
14 लाख से अधिक घरों में दिया जाना है पेयजल कनेक्शन
जल जीवन मिशन के तहत सरकार को प्रदेश में 14 लाख से अधिक घरों में पेयजल कनेक्शन दिया जाना है। अभी तक करीब साढ़े सात लाख घरों में पानी का कनेक्शन दिया जा चुका है। पांच करोड़ से ऊपर की परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार के स्तर से डीपीसी पास की जाएगी। पेयजल विभाग की ओर से लोगों को जल जनित बीमारियों से बचाने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके तहत जहां हर ब्लॉक में वाटर टेस्टिंग लैब बनाई जाएगी तो दूसरी ओर हर गांव में पांच लोगों की टीम को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह टीम वाटर किट से पेयजल के नमूने लेगी और जांच करेगी। अगर पानी में कमी होगी तो विभाग के अधिकारियों के निर्देशों के तहत उस पानी का ट्रीटमेंट किया जाएगा। सरकार का मकसद है कि जो भी पानी लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है, वह स्वच्छ हो।
इसी संदर्भ में सरकार द्वारा आयोजित देहरादून में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें यमकेश्वर ब्लाक के ग्राम प्रधान, जल जीवन मिशन के सदस्य और ग्राम प्रतिनिधियों को योजना के बारे में बताया गया कि किस तरह से गांवों तक शुद्ध पेयजल की प्राप्ति होगी, और इसमें ग्राम प्रधान की भूमिका कैसे होगी, उनके क्या कार्य होंगे, इसे कार्यशाला में विस्तार से समझाया गया। कार्यशाला में कई गांवों के प्रधानों ने भाग लिया, जिसमें उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए।
बिथ्याणी के ग्राम प्रधान सतेन्द्र सिंह नेगी ने बताया कि जल जीवन मिशन की कार्यशाला में मेरी मुख्य भूमिका थी। लेकिन मैं जल जीवन मिशन के कार्य से संतुष्ट नहीं हूं। जल जीवन मिशन के तहत पहले पाइल लाइन बिछाने का काम तो हो गया लेकिन अभी तक पानी की कोई व्यवस्था नहीं हुई । राजस्व ग्राम मलेथा में तो अभी तक प्रथम चरण के काम की शुरुआत भी नहीं हुई है, जबकि बिथ्याणी, मुंजरा और रैणाबाड़ी में पाइप लाइन तो बिछ गई है, लेकिन डेढ़ साल से नल पानी की राह ताक रहे हैं। इनका कहना है कि मेरी सरकार से अपील है कि पहले गांवों में टैंक बनाया जाए, फिर पाइप लाइन का काम शुरू किया जाए।
गंगा देवी पूर्व प्रधान, गांव सार और जल जीवन मिशन समिति की सदस्य ने इस योजना के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हमारे सार गांव में पानी की बहुत बड़ी समस्या बरसों से चली आ रही है। हमारी माताएं, बेटी, ब्वारी, बुजुर्ग सब कम से कम 864 सीढ़ियां चढ़कर पानी लाती हैं जो कि बहुत ही कठिन कार्य है। हम लोगों का सारा समय पानी ढोने में ही लग जाता है। सरकार का गांव-गांव तक पानी पहुंचाने का मिशन बहुत ही सराहनीय कदम है। जल जीवन मिशन के तहत हमें यह बताया गया कि पानी की व्यवस्था कैसे करेंगे, पानी की शुद्धता का मानक क्या होगा, सोक पिट का गड्ढा कैसे होगा। हमारा कहना है कि जल जीवन मिशन के तहत जो भी नल गांव में बिछाया जाएगा वो पानी हमारे स्रोत ही आना चाहिए, क्योंकि दूर से पानी लाने में काफी सारी परेशानियां आती हैं। नल रास्ते में टूट-फूट जाते हैं। हम सरकार के काम में तभी सहयोग करेंगे, जब नलों को हमारे प्राकृतिक स्रोत से जोड़ा जाएगा।
बगोड़गांव के ग्राम प्रधान सूरज सिंह नेगी ने बताया कि हमारे गांव में पानी की बहुत बड़ी समस्या है। उन्होंने बताया कि हमारे गांव में दिसम्बर से जुलाई तक पानी की बड़ी समस्या रहती है। बरसात होने तक पानी केे लिए हम बहुत परेशान रहते हैं। हमें डेढ़ किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है। जल जीवन मिशन की कार्यशाला में हमें पानी का बचाव, रखरखाव, पानी का उपयोग कैसे करना है आदि के बारे में बहुत बढ़िया जानकारी दी गई। हमारे गांव में 52 परिवार रहते हैं और एक नल पर कम से कम 15 लोग जुड़े हैं, जिससे काफी असुविधा होती है।
बंचूरी की ग्राम प्रधान विनीता लखेड़ा ने बताया कि हमारे गांव में पानी की बड़ी समस्या है। हमारे यहां पर पानी के प्राकृतिक स्रोत हैं और हम चाहते हैं कि उन्हीं स्रोतों से हमारे घरों में पानी पहुंचाया जाए। बाहर से पानी आने में कई तरह की दिक्कतें होंगी। जब हमारे गांव में नल बिछाए जा रहे थे, तब हमें इसकी सही जानकारी नहीं थी, क्योंकि नल बिछाने के लिए खुदाई कम से 5-7 फिट गहरी होनी चाहिए थी। जल जीवन मिशन के अंतर्गत हमें यह बताया गया कि पानी का स्तर को कैसे सुधारा जाए, पीने योग्य पानी कैसे होना चाहिए, आदि कई चीजों के बारे में बहुत अच्छी जानकारी से अवगत कराया गया, जो कि सराहनीय कदम है। हमें पानी के बारे में काफी कुछ सीखने को मिला। हमारे गांव में लगभग 112 पानी के कनेक्शन दिए गए हैं। इनका भी कहना था कि हम चाहते हैं कि नलों को हमारे लोकल स्रोत से ही जोड़ा जाए तो यह बहुत अच्छा रहेगा।
रिखेडा की ग्राम प्रधान पल्लवी लखेड़ा ने बताया कि हमारे गांव में पानी की ज्यादा बड़ी समस्या नहीं है। हमारे गांव में प्राकृतिक स्रोत को सोलर योजना से जोड़कर पानी घर-घर तक आता है, लेकिन सोलर पर निर्भरता अधिक नहीं हो सकती। जब पानी की समस्या होती है तो फिर हमें लगभग एक किलोमीटर दूर से पानी ढोना पड़ता है। जल जीवन मिशन की कार्यशाला में हमें पानी का यूज कैसे करना है, टैप वाटर कैसे होगा, उसे पीने योग्य कैसे बनाया जायेगा, पानी की टेस्टिंग, क्वालिटी आदि के बारे में बताया गया, जो कि बहुत ही अच्छा लगा। हमें वर्षा के पानी कैसे संग्रहित करना है, इसके बारे में भी जानकारी दी गई। अभी हमारे घर में अभी नल बिछाने का काम शुरू नहीं हो पाया है। कार्यशाला बहुत अच्छी रही। हमने बहुत कुछ पानी के बारे में सीखा।
डांगी की ग्राम प्रधान शकुंतला देवी ने बताया कि हमारे गांव में पानी की फिलहाल समस्या नहीं है। हमारे प्राकृतिक स्रोत से ही नल को जोड़ा गया है। उसी के माध्यम से पानी घर-घर पहुंचाया जाता है। हमारे गांव 50-60 परिवार रहते हैं। जल जीवन मिशन कार्यशाला में हमें प्राकृतिक स्रोत के पानी के बारे में बताया गया, इसके अलावा पानी की बचत कैसे करनी है और पानी की गुणवत्ता के बारे में विस्तार से बताया गया। कुल मिलाकर कार्यशाला अच्छी रही। इनका कहना है कि हमारे गांव में ठेकेदार नल बिछाकर चला गया है, नल के गड्ढे खुले हुए हैं, उन्हें अभी ढका नहीं गया है जो आए दिन जानवरों और खुद इंसानों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है।
कुल मिलाकर जल जीवन मिशन पर देहरादून में आयोजित कार्यशाला अपने मिशन में सफल रही। सभी लोगों का यही कहना था कि नल का जुड़ाव प्राकृतिक स्रोतों से किया जाना चाहिए। सभी प्रधानों का कहना था कि इस कार्यशाला से हमें पानी के बारे में काफी कुछ सीख मिली। हम सरकार की इस पहल का स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि आने वाले समय में भी ऐसे ज्ञानपरक आयोजनों से रूबरू कराया जाए जिससे कि गांवों के लोग जागरुक हो सकें और गांवों का समुचित विकास हो सके।