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फर्जी दस्तावेजों से करोड़ों की संपत्ति का वारा-न्यारा

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देहरादून। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) और सेबी के फर्जी हस्ताक्षर कर जाली दस्तावेज तैयार किए गए और करीब सौ करोड़ की संपत्तियों का फर्जीवाड़ा कर रजिस्ट्रियां कर दी गईं। उत्तराखंड एसटीएफ ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दंपत्ति ने अपनी कंपनी के नाम जमीनों को दर्शाकर अलग अलग राज्य के लोगों को बेची है।

एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक देहरादून के भाऊवाला, धोरणखास, तरलाआमवाला, बड़ोवाला और मसूरी की पत्तियों को एसपीके वर्ल्डकॉम प्राइवेट लिमिटेड डिफेंस कॉलोनी की डायरेक्टर पूजा मलिक और संजीव मलिक ने रजिस्ट्रियां की। न्यायमूर्ति विक्रमजीत सैन (रिटायर्ड) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित अन्य राज्यों के लोगों को बेची गई। साल 2015 में सीबीआई की जांच के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 348 सम्पत्ति पीजीएफ (पर्ल ग्रीन फॉरेस्ट लिमिटेड) और 14 हजार सम्पत्ति पीएसीएल को एक अप्रैल 2015 के आदेश पर सीज की गई थी। भारतीय प्रतिभूति, विनिमय बोर्ड, पीजीएफ के सदस्य को नामित कर कमेटी गठन कर निस्तारण के आदेश दिए गए थे। गठित विशेष कमेटी के बैंक खातों में फर्जी लेन-देन को दर्शाकर रजिस्ट्रियां की जाती थी।

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