कोटद्वार। क्या दिलीप रावत कोटद्वार से लगा पाएंगे हैट्रिक? आजादी के बाद 1951 में अस्तित्व में आई लैंसडौन विधानसभा सीट का इतिहास रोचक रहा है। अविभाजित उत्तर प्रदेश के जमाने से लेकर अब तक हुए विधानसभा चुनाव में आठ बार कांग्रेस के प्रत्याशियों के सिर जीत का सेहरा बंधा। यह सीट आजादी के बाद हुए पहले चुनाव से ही दिग्गजों की सीट रही। जिनकी राजनीति के क्षेत्र में जबरदस्त दखलअंदाजी रही। यह विधानसभा क्षेत्र राज्य के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र में शुमार किया जाता था।
राज्य निर्माण के बाद हुए वर्ष 2002, 2007 में इस सीट से कांग्रेस के डा. हरक सिंह रावत लगातार दो बार विजयी रहे। वर्ष 2012 व 2017 के चुनाव में पूर्व विधायक स्व. भारत सिंह रावत के बेटे भाजपा प्रत्याशी दिलीप सिंह रावत के सिर जीत का सेहरा बंधा। अब वे इस सीट पर हैट्रिक लगाने को आतुर हैं। वहीं, भाजपा और प्रदेश मंत्रिमंडल से बर्खाख्त हुए पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की इस सीट पर नजर टिकी है। वह यहां से अपनी बहू अनुकृति गुसाईं रावत को चुनाव लड़वाना चाहते हैं। यदि कांग्रेस उन्हें इस सीट से टिकट मिलता है तो इसी सीट पर रोचक मुकाबला होने के आसार हैं।