भाई के मस्तक पर विजय का तिलक ही मेरा सपना : योगी की बहन
योगी की सफलता के लिए बहन ने की नीलकंठ महादेव से प्रार्थना
ऋषिकेश। भाई के मस्तक पर विजय का तिलक ही मेरा सपना है। उत्तराखंड में हिमालय पर्वतों की तलहटी में बसा ऋषिकेश से लगभग 36 किमी. दूर नीलकंठ महादेव मंदिर श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख पर्यटन स्थल है। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष गटक लिया था। उसी समय उनकी पत्नी पार्वती ने उनका गला दबा दिया, जिससे कि विष उनके गले में ही अटक गया, पेट तक नहीं पहुंच पाया। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया। गला नीला पड़ने के कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना जाता है। अत्यन्त प्रभावशाली यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
इसी नीलकंठ मंदिर के पास फूल-प्रसाद की 70 दुकानें हैं। इन्हीं दुकानों में से एक दुकान है शशि पयाल की। साधारण सी दिखने वाली इस दुकान में पूजा-पाठ व फूल प्रसाद के साथ ही थोड़ी-बहुत खाने-पीने की सामाग्री भी मिल जाती है। यह कम ही लोग जानते हैं कि इस दुकान की देखरेख करने वाली शशि पयाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बड़ी बहन हैं। शशि प्रतिदिन भाई की विजय के लिए नीलकंठ महादेव से प्रार्थना करना नहीं भूलतीं। शशि कहती हैं कि ‘भाई के मस्तक पर विजय का तिलक देखना ही मेरा सपना है।’
सादगी का भाव योगी को परिवार से विरासत में मिला है। सात भाई-बहनों में शशि सबसे बड़ी और योगी पांचवे नंबर के हैं। योगी पौड़ी जिले में यमकेश्वर ब्लाक में पंचूर गांव के रहने वाले हैं। 31 वर्ष पहले शशि का विवाह कोठार गांव के पूरण सिंह पयाल से हुआ। पूरण ग्रेजुएट तो शशि इंटर तक पढ़ी-लिखी हैं। पति-पत्नी हर दिन कोठार गांव से ढाई किलोमीटर दूर नीलकंठ महादेव मंदिर में रोज सुबह सात बजे दुकान खोलते हैं और शाम चार बजे तक गांव लौट जाते हैं। शशि के तीन बच्चे हैं, दो पुत्र और एक पुत्री। एक पुत्र का विवाह हो चुका है।
28 साल से भाई की कलाई पर नहीं बांधी राखी
शशि बताती है कि बचपन से ही योगी का स्वभाव अन्य भाई-बहनों से बिल्कुल विपरीत था। 1994 में योगी आदित्यनाथ के संन्यास की घोषणा के बाद उनकी कलाई पर राखी बांधने का अवसर नहीं मिला, लेकिन वह हर साल उन्हें राखी भेजती हैं। शशि बोलती हैं कि उन्हें उम्मीद थी कि एक न एक दिन भाई संन्यास से लौट आएगा, लेकिन दिन-ब-दिन गुजरने के बाद स्पष्ट हो गया कि ऐसा अब संभव नहीं होने वाला है।
योगी को बहन के हाथ का बना खाना बहुत पसंद था
शशि बताती हैं कि योगी आदित्यनाथ को उनके हाथ का बना भोजन बहुत पसंद था। वे बताती हैं कि जब 2017 विधानसभा चुनाव हो रहे थे तो योगी आदित्यनाथ प्रचार के लिए ऋषिकेश, यमकेश्वर और रायवाला आए थे। उसी समय वह अपने गांव पंचूर भी गए थे। तब परिवार के सभी लोग गांव में इकट्ठा हुए थे और भाई योगी आदित्यनाथ के साथ काफी बातचीत की थी।
उत्तर प्रदेश के चुनावों पर लगी है नजर
शशि किसी को भी यह बताने में शरमाती नहीं हैं कि उनके भाई यूपी के मुख्यमंत्री हैं। दुकानों में बातचीत के दौरान अगर पता चल गया कि यह ग्राहक उत्तर प्रदेश से हैं तो वह तपाक से पूछ बैठती है कि वहां किसकी सरकार बनने वाली है। वह कहती हैं ‘योगी जी संन्यासी हैं, लेकिन मैं तो बहन हूं। रोज नीलकंठ महादेव से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करती हूं।’ पति पूरण सिंह पयाल कहते हैं कि हमारा सबका यही प्रयास रहता है कि हमारे कारण कभी भी योगी के सम्मान को ठेस न पहुंचे।