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यमकेश्वर जैसे मजबूत गढ़ को बचाने की भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती

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यमकेश्वर। 2022 के चुनाव में भाजपा के मजबूत गढ़ सलामत रहेंगे या उनमें सेंधमारी होगी या पार्टी इस बार कुछ और नए किले बनाने में भी कामयाब होगी, ये तो अब मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। इन सभी सवालों के जवाब जनता ने ईवीएम में बंद कर दिये हैं, जो 10 मार्च को खुलेंगे। इस बार प्रदेश की सत्ता पर कौन सत्तासीन होगा, इसका जवाब पाने की जितनी बेताबी लोगों में है, उतनी ही खुशी यह जानने की भी है कि भाजपा अपने कितने पारंपरिक किलों को ढहाने बचा सकती है।

यमकेश्वर विधानसभा से पूर्व राज्य मंत्री एवं पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष विजय बड़थ्वाल यहां से वर्ष 2002, 2007, 2012 मजबूत गढ़ में तीन बार चुनाव जीतीं हैं। बीते विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री ऋतु भूषण खंडूड़ी ने स्वतंत्र उम्मीदवार रेनू बिष्ट को मात्र 8,982 मतों से हराकर यहां से महिला सीट का परचम लहराया था।

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भाजपा ने पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ा है। पार्टी उन सभी सीटों पर भारी मतों से चुनाव जीतेगी, जो उसके मजबूत दुर्ग के तौर पर देखे जाते रहे हैं। कांग्रेस व विपक्षी दल चाहे जो भी दावे करें, भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज होने जा रही है।
– मनवीर सिंह चौहान, प्रदेश मीडिया प्रभारी, भाजपा

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