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चौंकाते रहे हैं उत्तराखंड के मतदाता, बस एक दिन का इंतजार

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देहरादून। उत्तराखंड के मतदाता हर बार चुनाव में चौंकाते रहे हैं। पांचवी बार विधानसभा में बदलाव का मिथक टूटेगा या ये परंपरा आगे भी चलती रहेगी, बस कुछ ही घंटों में तस्वीर साफ होने वाली है। उत्तराखंड के मतदाता हर चुनाव में अपने फैसले को चौंकाते रहे हैं। दोपहर तक धुंधले बादल काफी छंट जाएंगे। 40-50 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में जंग है, जबकि 25-30 सीटें ऐसी हैं, जहां बसपा, सपा, आप और निर्दलीय मुकाबले का त्रिकोण बन सकते हैं।

मतगणना पर नजर रखने को भाजपा के प्रदेश प्रभारी प्रहलाद जोशी, केंद्रीय मंत्री दुष्यंत गौतम आज दून पहुंचेंगे, जबकि कैलाश विजयवर्गीय पहले ही देहरादून में डेरा डाल चुके हैं। ठीक उसी तरह कांग्रेस भी परिणाम को लेकर पहले ही बंद कमरे में गहन मंत्रणा कर चुकी है।

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पिछले कई चुनाव में ऐसे कई अवसर आए, जब उत्तराखंड के मतदाता ने चौंकाने वाला फैसला दिया। 2012 में उत्तराखंड की जनता ने मुख्यमंत्री रहते हुए खंडूड़ी को कोटद्वार से हरा दिया था। इसी तरह हरीश रावत 2017 में दो सीटों (हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा) से चुनाव लड़े और दोनों में हार गए। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी को भी जनता ने 2002 में नकार दिया था। 2017 में बीजेपी ने तीन चौथाई (57) जीत के साथ सरकार बनाई थी।

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