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कश्मीर के रिसते घावों की कहानी है ‘द कश्मीर फाइल्स’

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मुंबई। कश्मीर के रिसते घावों की कहानी है ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म। ‘चॉकलेट’ और ‘हेट स्टोरी’ बनाने वाले निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ऐसी हृदय विदारक फिल्म बना सकते हैं कौन सोच सकता है। विवेक ने अपनी पिछली फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा था। द कश्मीर फाइल्स को इसी फिल्म का डीएनए माना जा रहा है। पिछली बार उन्होंने इतिहास की मैली चादर से ढकी पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री की हत्या की असलियत दुनिया के सामने लाने की कोशिश की थी, इस बार उन्होंने कश्मीर की सबसे गंभीर समस्या से नकाब उठाया है।

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देश में कश्मीर पंडित इकलौती ऐसी कौम है जिसे उनके घर से आजादी के बाद बेदखल कर दिया गया और करोड़ों की आबादी वाले इस देश के किसी भी हिस्से में कोई हलचल तक नहीं हुई। घाटी में जो कुछ हुआ वह दर्दनाक तो था ही, लेकिन इसे बड़े पर्दे पर दिखाना उससे भी दर्दनाक है। आतंक का ये ऐसा चेहरा है जिसे सारी दुनिया के सामने रखना जरूरी है।

‘द कश्मीर फाइल्स’ में अनुपम खेर अरसे बाद अपने पूरे रंग मे दिखे हैं। वह परदे पर जब भी आते हैं, दर्द का एक दरिया सा उफनाता है। चिन्मय मांडलेकर का अभिनय फिल्म की एक और मजबूत कड़ी है। तकनीकी तौर पर फिल्म बहुत कमाल की भले न हो लेकिन उदय सिंह मोहिले ने अपने कैमरे के सहारे फिल्म का दर्द धीरे-धीरे रिसते देने में कामयाबी पाई है। फिल्म के हिसाब से फिल्म का संगीत हालांकि कमजोर है। लेकिन, इस सबके बावजूद फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ कथानक के लिहाज से इस साल की एक दमदार फिल्म साबित होती है। दर्शन कुमार ने फिल्म के अतीत को वर्तमान से जोड़ने का शानदार काम किया है।

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