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पहाड़ के शिक्षकों में तबादला एक्ट को लेकर भारी नाराजगी

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देहरादून। पहाड़ के शिक्षकों में तबादला एक्ट को लेकर पहाड़ों में कार्यरत हजारों शिक्षकों ने अपना विरोध दर्ज किया है। उनका कहना है कि तबादला एक्ट शिक्षा विभाग शिक्षकों के साथ अन्यायपूर्ण निर्णय है। उनका कहना है कि अगर शिक्षकों ने सुगम में आने का मौका छोड़ दिया तो आने वाले पांच साल तक उनके तबादले पर विचार क्यों नहीं होगा।

मालूम हो कि इस समय प्रदेश में शिक्षकों के ट्रांसफर प्रक्रिया चल रही है। तबादला नीति में दुर्गम क्षेत्र के शिक्षकों को तो राहत दी गई, लेकिन पहाड़ों में रहने वाले इच्छुक शिक्षक यदि सुगम क्षेत्र के स्कूलों में आने का मौके गंवाते हैं तो उन शिक्षकों के तबादलों पर अगले पांच साल या फिर उनकी सेवानिवृत्ति (जो भी पहले हो) तक सुगम क्षेत्र के स्कूलों में तबादले पर विचार नहीं किया जाएगा।

प्रारंभिक शिक्षा निदेशक बंदना गर्ब्याल की ओर से जारी आदेशानुसार इस मामले में केवल उन अध्यापकों के तबादलों पर विचार किया जायेगा, जो 55 साल के हो चुके हों या किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हों। इसी नियम को लेकर पहाड़ के शिक्षकों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। उनका कहना है कि इस नियम को तबादला नीति से हटाना होगा।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने कहा कि तबादला एक्ट के तहत शिक्षकों के तबादले को 31 मई तिथि निर्धारित की गयी थी, लेकिन जो शिक्षक आवेदन नहीं कर पाए हैं, शासन से आवेदन की तिथि को 10 दिन और बढ़ाने का आग्रह किया गया है, ताकि 10 जून तक सभी शिक्षक आवेदन कर सकें।

खाली पदों की सूची जारी
शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि शिक्षकों के तबादलों के लिए सभी जिलों ने खाली पदों की सूची जारी कर दी है। इस आधार पर तबादले किए जाएंगे। तबादला एक्ट का पूरी तरह से पालन करने को लेकर निर्देशित किया गया है।

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