शिवसेना के किले में सेंधमारी कर राजनीति के चतुर चितेरे बनकर उभरे फडणवीस
महाराष्ट्र। शिवसेना के किले में सेंधमारी कर राजनीतिक घटनाक्रम में देवेंद्र फडणवीस राजनीति के बड़े चतुर खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। पिछले 10 दिनों के अंदर उन्होंने उद्धव सरकार को तीसरी बार पटखनी दी। देवेंद्र फडणवीस की इस मेहनत का महत्व इस मायने और भी ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि इस घटनाक्रम में उन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से कोई सहयोग नहीं मिला। यहां तक कि सियासी उलटफेर में माहिर अमित शाह ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी।
फडणवीस ने पहले राज्यसभा में क्रास वोटिंग कराकर अपना अतिरिक्त उम्मीदवार को जिताने में सफलता पाई, तो दूसरी बार सोमवार को एमएलसी चुनाव में अपना एक अतिरिक्त उम्मीदवार को विजयी बनाया और अब उद्धव सरकार को कठघरे में खड़ा करके महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल मचा दिया। इस सियासी घटनाक्रम ने उनका ओहदा बढ़ा दिया है।
शरद पवार महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति में ऊंचा स्थान रखते हैं। उन्हें सियासत के चाणक्य के रूप में देखा जाता है, लेकिन इस बदले माहौल में फडणवीस ने जिस तरह अपनी मोहरें चलाईं, उसकी भनक सरकार को भी नहीं लग पाई। इसे महाराष्ट्र सरकार के साथ-साथ शरद पवार की बड़ी चूक के तौर पर देखा जा रहा है।
एकनाथ शिंदे से करीबी रिश्ते
माना जा रहा है कि अपनी सरकार गिरने के बाद से ही फडणवीस ने इस योजना पर काम शुरू कर दिया था। बिना शोर किये उन्होंने शिवसेना के किले को भेदने की योजना पर काम शुरू किया। उनकी इस तलाश में एकनाथ शिंदे ने उनका साथ दिया, जो उनकी सरकार में मंत्री भी रह चुके थे।
राज्यसभा चुनाव में भी दिखाया जादू
राज्यसभा चुनाव में फडणवीस ने अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया। भाजपा के पास केवल दो सांसदों को जिताने का गणित था, लेकिन फडणवीस ने तीसरे उम्मीदवार धनंजय महाडिक को जिताकर अपनी पहुंच का शानदार परिचय पार्टी आलाकमान को दिखाया। इस रणकौशल में उद्धव ठाकरे को सीधे तौर पर नुकसान उठाना पड़ा था, क्योंकि शिवसेना के संजय पवार की क्रास वोटिंग में हार हो गयी थी।