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जनता से दूरी बनाने के कारण हाथ से निकली विरासत की सियासत

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जनता से दूरी बनने कारण आजमगढ़ का किला भी सपा के हाथ से निकल गया है। निरहुआ रिक्शावाला ने 2019 में अखिलेश यादव के खिलाफ लोकसभा चुनाव में हुई हार का बदला 2022 के उपचुनाव में दे दिया है। आजमगढ़ में आजादी के बाद दूसरी बार कमल खिला है।

लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में यूपी में दोनों सीटें आजमगढ़ और रामपुर पर भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की है। आजमगढ़ उपचुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक बार भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचे। आजादी के बाद दूसरी बार भाजपा आजमगढ़ पर भगवा फहराने में काययाब हुई है। निरहुआ ने सपा के धर्मेंद्र यादव को आठ हजार से अधिक मतों से पछाड़कर शिकस्त दी है।

भरोसा कायम नहीं रख सके अखिलेश यादव
विश्लेषक मान रहे हैं कि सपा की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण सपा मुखिया अखिलेश यादव की आजमगढ़ के मतदाताओं से दूरी है। असल में विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव के इस्तीफे से आजमगढ़ की जनता के बीच यह संदेश गया कि उनके लिए आजमगढ़ ज्यादा प्राथमिकता का नहीं है। इससे पहले भी अखिलेश आजमढ़ की जनता के बीच अपने लगाव का संदेश नहीं छोड़ पाए।

भाजपा ने यादव बिरादरी और आजमगढ़ से सटे गाजीपुर के मूल निवासी दिनेश लाल यादव (निरहुआ) को मैदान में उतारकर जनता के दिल में जगह बनाने की कोशिश की। यहां की जनता को रिझाने के लिए भाजपा ने यहां एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य सहित तमाम दिग्गज चुनाव मैदान में डटे रहे, वहीं सपा की तरफ से आजम खां, स्वामी प्रसाद मौर्य राजभर सहित अन्य लोगों ने माहौल को गरमाने की भरपूर कोशिश की। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि 2024 के आम चुनाव में ही आजमगढ़ की सही तस्वीर सामने आएगी।

दिनेश लाल यादव निरहुआ ने ट्वीट किया- आजमगढ़वासियों आपने कमाल कर दिया है। यह आपकी जीत है। उपचुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही जिस तरीके से आप सबने भाजपा को प्यार, समर्थन और आशीर्वाद दिया, यह उसकी जीत है। यह जीत आपके भरोसे और देवतुल्य कार्यकर्ताओं की मेहनत को समर्पित है।

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