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छोटी दिवाली को यमराज के नाम का दीया क्यों जलाया जाता है?

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देहरादून। छोटी दिवाली को यमराज के नाम का दीया जलाया जाता है। इसकी एक धार्मिक मान्यता है। दीपावली के पावन पर्व की शुरुआत 23 अक्टूबर 22 यानि आज से हो रही है। दीपावली वैसे पांच दिनों का पर्व होता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस के साथ होती है। इसके बाद छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं और फिर दीपावली मनाई जाती है। दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है। ऐसी मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन माता लक्ष्मी का घर में आगमन होता है और इसी से घर की दरिद्रता दूर होती है।

नरक चतुर्दशी क्यों मनाते हैं?
हर साल कार्तिक पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस बार नरक चतुर्दशी 23 अक्टूबर शाम 6 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। नरकासुर के बंदीगृह में 16 हजार से ज्यादा महिलाएं कैद थीं, िजन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने आजाद कराया था, तभी से छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।
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छोटी दिवाली के मौके पर घर की साफ-सफाई और सजावट की परंपरा है। घर का सारा कबाड़ और खराब सामान बाहर निकाल दिया जाता है। शाम को घर के दरवाजे दोनों कोनों में दीया जलाया जाता है और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

यमराज के नाम का जलाया जाता है दीया
इस दिन शाम को दीपक जलाने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम का दीया जलाया जाता है। कहा जाता है कि यम देव की पूजा से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। सभी पापों का नाश करने और जीवन की परेशानियों से मुक्ति के लिए शाम के समय यम देव की पूजा की जाती है। इसीलिए घर के दरवाजे के दोनों तरफ दीये जरूर जलाये जाते हैं।

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