
मसूरी, 17 अप्रैल। मशहूर लेखक बिल एटकिन ने देहरादून में अंतिम सांस ली. मंगलवार को मसूरी निवासी 91 वर्षीय बिल एटकिन को घर पर स्ट्रोक पड़ा. जिसके बाद उनको मसूरी लंढौर कम्युनिटी हॉस्पिटल ले जाया गया. जहां पर डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उनको देहरादून कृष्णा अस्पताल रेफर कर दिया. जहां पर बुधवार और गुरुवार के मध्य रात्रि 12:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. मसूरी में उनके केयर टेकर कुशाल सिंह ने उनका हिंदू रीति रिवाज से हरिद्वार में अंतिम संस्कार किया.
बिल एटकिन एक स्कॉटिश मूल के भारतीय लेखक और यात्रा विशेषज्ञ थे. उन्होंने भारतीय संस्कृति, हिमालय, नदियों और रेलवे पर अपनी गहरी समझ और प्रेम से साहित्यिक दुनिया में अपनी विशेष पहचान बनाई. उनकी लेखनी में यात्रा, संस्कृति, आध्यात्मिकता और स्थानीय जीवन की गहरी समझ झलकती है. बिल एटकिन ने मसूरी को अपना स्थायी निवास बनाया और यहां की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाई. उनकी लेखनी ने उत्तराखंड की पहाड़ी संस्कृति और जीवनशैली को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया. बिल एटकिन का जीवन एक आध्यात्मिक यात्रा था.
हिंदू धर्म को अपनाया
उन्होंने भारतीय संतों और गुरुओं से गहरी प्रेरणा ली. जिनमें श्री रामानुजाचार्य, श्री कृष्ण प्रेम और श्री साईं बाबा शामिल हैं. उन्होंने भारतीय जीवनशैली को अपनाया. उन्होंने हिंदू धर्म को अपनाया. बिल एटकिन का निधन भारतीय साहित्य और यात्रा प्रेमियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनकी कृतियां और अनुभव आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी. लेखक बिल एटकिन के नाम दो दर्जन से अधिक पुस्तकें हैं.
बिल एटकिन की पुस्तकें
ब्रिटिश मूल के भारतीय यात्रा लेखक और स्कॉटलैंड के पर्वत प्रेमी बिल एटकिन चार दशकों से अधिक समय तक मसूरी में ही रहे. उनकी पुस्तकों में भारत, उसके पहाड़ों, नदियों और भाप से चलने वाली रेलगाड़ियों की यात्रा शामिल है. सात पवित्र नदियां, डेक्कन की दिव्यता, भारत के हृदय तक एक मोटरबाइक, हिमालय में पदयात्रा, नंदा देवी मामला, भारतीय रेलवे की खोज, श्री सत्य साईं बाबा, मोटरसाइकिल, पर्वतीय आनंद, एक छोटी लाइन द्वारा यात्रा, जांस्कर, 1000 हिमालयन क्विज आदि नाम हैं.
स्कॉटलैंड में हुआ जन्म
बिलएटकिन का जन्म 31 मई 1934 को टुलि बोडी, क्लैकमैनन शायर, स्कॉटलैंड में हुआ. उन्होंने शिक्षा लीड्स विश्वविद्यालय से तुलनात्मक धर्मशास्त्र में एमए किया. 1959 में 25 वर्ष की आयु में बिना वीजा के ब्रिटिश पर्यटकों के साथ लाहौर से भारत पहुंचे. 1972 में भारतीय नागरिकता प्राप्त की. उत्तराखंड के मीरटोला आश्रम में सात वर्ष बिताए. जहां उन्होंने अपने गुरु श्री कृष्ण प्रेम से दीक्षा ली और हिंदू धर्म को अपनाया. बिल एटकिन ने भारत यात्रा साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी प्रमुख कृतियां निम्नलिखित हैं- भारत की सात प्रमुख नदियों की यात्रा पर आधारित, दक्षिण भारत की मोटरसाइकिल यात्रा, हिमालय की यात्रा और वहां के संतों के अनुभव, नंदा देवी पर्वत और उसकी सांस्कृतिक मंहत्ता पर आधारित, भारत के छोटे रेलवे मार्गों की यात्रा, भारतीय रेलवे की खोज है.