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प्रदेश में अब 1800 गांवों पर चलेगा पुलिस का डंडा, पटवारी राज खत्म

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देहरादून। उत्तराखंड में सैकड़ों सालों से चली आ रही पटवारी (राजस्व पुलिस) व्यवस्था पर अब लगाम लगने वाली है। प्रदेश में अब 1800 गांवों पर चलेगा पुलिस का डंडा, पटवारी राज खत्म होने वाला है। अंकिता हत्याकांड के बाद पूरे प्रदेश में राजस्व पुलिस पर उंगलियां उठने लगी थी। अब सरकार ने पूरे प्रदेश में क्रमवार पुलिस व्यस्था लागू करने का फैसला लिया है।

प्रदेश का 60 प्रतिशत क्षेत्र राजस्व पुलिस के हाथ में है
अंग्रेजों के जमाने से भी पहले लागू इस पटवारी व्यवस्था को खत्म करने के लिए पिछले काफी दिनों से आवाज उठने लगी थी। इसका कारण पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ रहे अपराध पर अंकुश न लग पाना माना जा रहा है। अपराधियों के लिए पहाड़ों पर शरण लेना आसान बनता जा रहा था जो कि राजस्व पुलिस के मुश्किल काम था। ऐसे में राजस्व पुलिस यानी पटवारी और कानूनगो इन अपराधियों पर नकेल कसने में नाकाम रहे। जब से पौड़ी गढ़वाल में अंकिता भंडारी हत्याकांड हुआ तब से तो राजस्व पुलिस लगातार निशाने पर रही है।

धीरे-धीरे लागू होगी पुलिस व्यवस्था
राज्य मत्रिमंडल की बैठक में नियमित पुलिस व्यवस्था लागू करने पर सहमति बनी थी। इसी के तहत 1800 राजस्व गांवों में पटवारी राज खत्म किया गया है। इसके लिए प्रदेश में 52 थानों और 19 चौकियों को सीमा विस्तार दिया गया है। दूसरे चरण में पुलिस विभाग में पर्वतीय क्षेत्रों में 6 नए थाने और 20 रिपोर्टिंग पुलिस चौकियों का गठन किया जाना है। इन नये थानों में प्रदेश के 1444 राजस्व गांव शामिल किये जायेंगे। दरअसल, उत्तराखंड को तीन क्षेत्रों में बांटा गया है और इन तीनों में अलग-अलग अधिनियम लागू होते हैं, जो राजस्व अधिकारियों को गिरफ्तारी और जांच की शक्ति देते हैं। पहला क्षेत्र है कुमाऊं और गढ़वाल डिवीजन की पहाड़ी पट्टी, दूसरा- टिहरी और उत्तरकाशी जिले की पहाड़ी पट्टी और तीसरा क्षेत्र है देहरादून जिले का जौनसार-बावर क्षेत्र।

सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है मामला
सरकार इस नई व्यवस्था से हमेशा से बचती रही है। 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त कर पूरे उत्तराखंड में पुलिस व्यवस्था लागू करने के आदेश दिये थे। संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए तत्कालीन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट के पाले में है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने न तो हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है और न ही कोई नया निर्णय दिया है।

अंकिता हत्याकांड के बाद से मामला गर्माया
पौड़ी जिले में अंकिता हत्याकांड ने राजस्व पुलिस व्यवस्था की पोल खोल दी थी। तभी से राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने की जोरदार मांग उठ रही थी। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस राजस्व पुलिस पर लगाने लगाने की बात कही थी। चारों ओर से दबाव पड़ने पर सरकार भी अलर्ट मोड में आ गयी है। https://sarthakpahal.com/

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