जोशीमठ। जोशीमठ में तबाही का मंजर देख सेना के जवान भी भावी आशंका देखते हुए अपने-अपने तंबू समेटने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि जोशीमठ में सैन्य क्षेत्र की सड़क और सुरक्षा दीवारों पर भी कई जगह दरारें आ गयी है। कुछ स्थानों पर सड़क धंस भी गयी है। सैन्य क्षेत्र के भवनों और रास्तों में भी कुछ दरारें आने लगी हैं। हालांकि ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक सैनी का कहना है कि सैन्य क्षेत्र के मकानों में दरार जैसी कोई भी सूचना प्रशासन के पास नहीं आई है, हालांकि सेना की सड़कों को नुकसान जरूर हुआ है।
सैन्यकर्मी सिविल क्षेत्र से खाली कर रहे किराये के मकान
सिविल क्षेत्र में किराये पर रहे सैन्यकर्मियों ने घर खाली करने शुरू कर दिये हैं। दो दिन के भीतर 15 सैन्यकर्मियों ने अपने किराये के मकान खाली कर दिये हैं। जोशीमठ में भू धंसाव के चलते सेना ने किराए के घर में रहने वाले अपने जवानों को अपने कैंपों में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। जोशीमठ में भारतीय सेना की बिग्रेड और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की एक बटालियन तैनात है। https://sarthakpahal.com/
सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकता भू-धंसाव
इनके लिए सेना अपने जवानों के रहने के लिए अस्थायी इंतजाम कर रही है। कई जवानों के परिवारों को कैंपों में ठहराया गया है। कुछ को बैरकों में शरण दी जा रही है। फिलहाल कोई सैन्य अधिकारी इस बारे में कुछ कहने को तैयार नहीं है। भारतीय सुरक्षा बलों के बाद इस सीमांत इलाके के नागरिक दूसरी रक्षा पंक्ति के पहरेदार हैं। भू-धंसाव की घटना पर यदि प्रभावी रोक नहीं लगी तो ये देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है। जोशीमठ, चीन बार्डर पर स्थित रिमखम, नीती बार्डर और बाड़ाहोती की सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। यहां बार्डर का अंतम ब्रिगेड हेडक्वार्टर भी है।
1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद से जोशीमठ में तैनात है सेना
वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ था। उस समय इस सीमांत इलाके में भारतीय सेना नहीं थी लेकिन उसके बाद इस संवेदनशील क्षेत्र में सेना की तैनाती की गई। इसके अलावा भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान भी यहां तैनात किए गए। अक्सर भारत के सीमावर्ती क्षेत्र बाड़ाहोती में चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं। वर्ष 2022 में चीनी सैनिकों ने बार घुसपैठ की कोशिश की। वर्ष 2021 में बाड़ाहोती में चीन के करीब 100 सैनिकों ने बॉर्डर क्रॉस किया था। इतना ही नहीं वर्ष 2014-18 तक करीब 10 बार चीन सीमा पर घुसपैठ कर चुका है। हालांकि हर बार आईटीबीपी के जवानों के आगे चीन के सैनिकों की नहीं चली।