
यमकेश्वर। पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के डांडामंडल क्षेत्र के देवराना में नौ और 10 अगस्त को हुई मूसलाधार बारिश के कारण कई मकानों में करीब दो फीट तक चौड़ी दरारें आ गई हैं। कई मकान तो टूटे भी गए हैं। करीब 32 परिवार कभी भी खतरे में आ सकते हैं। ग्रामीणों की सूचना पर प्रशासन ने गांव में डेरा डाल दिया है। ग्रामीणों ने गांव के विस्थापन की मांग की है। मौसम अभी भी खुलने के नाम नहीं ले रहा है। विभाग ने अभी दो-तीन दिन और भारी बारिश का अलर्ट जारी किया हुआ है। फिलहाल बारिश से लोगों की मुसीबतें अभी कम होने वाली नहीं हैं।
देवराना गांव का संपर्क मुख्यालय से टूटा
दरारें आने के कारण गांव का मोटर मार्ग भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसके कारण गांव का संपर्क ऋषिकेश बाजार और ब्लाक मुख्यालय यमकेश्वर से टूट गया है। गांव के ऊपर और नीचे वाले हिस्से में जमीनें खिसक रही हैं। जिससे ग्रामीण भटभीत हैं। ग्रामीण रातभर खुली आंखों में रात काटने को मजबूर हैं। यह दरारें छोटी-मोटी नहीं, बल्कि तीन किलोमीटर के क्षेत्र तक फैली हुई हैं। स्थानीय ग्रामीण भरोसा कंडवाल, राजेंद्र डोबरियाल ने अपना घर छोड़ दिया है। इस आपदा में जगदीश कंडवाल, अमरदेव देवराड़ी, कुशल सिंह, सुनील ग्वाड़ी, योगेश्वर कंडवाल, महावीर देवराड़ी, बीरेंद्र सिंह, मोहन ग्वाड़ी आदि ग्रामीण भी प्रभावित हुए हैं।
कसाण, भूमियासारी और धारकोट भी भूस्खलन की जद में
कसाण गांव में रुपेंद्र सिंह का मकान भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हो गया है। मकान के पीछे पहाड़ खिसक रहा है। जिस कारण आसपास दरारें पड़ चुकी हैं। https://sarthakpahal.com/
2007 से विस्थापन की आस कर रहा परिवार
वर्ष 2007 में भी यही परिवार आपदा का दंश झेल चुका है। तब इसी परिवार के चार लोग बादल फटने से मलबे में दब गए थे, लेकिन तब से ये लोग विस्थापन की आस लगाए हुए हैं। पौड़ी प्रशासन गांव को विस्थापन करने के लिए कई बार पत्रावलियां बना चुका है। लेकिन उसके बावजूद मामला ठंडे बस्ते में है। धारकोट गांव में भी भूमि धंसने के कारण गजेंद्र असवाल का मकान क्षतिग्रस्त हो गया है। जिससे अन्य ग्रामीण भी घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। कसाण से सटे गांव भूमियासारी में भी सड़कों पर दरारें और जमीन खिसकने से ग्रामीणों को जानमाल के खतरे का डर सता रहा है। ग्रामीण विस्थापन की मांग कर रहे हैं।