दो साल बाद हजारों शिवभक्तों के बोलबम से गुंजायमान हुआ नीलकंठ धाम

हरिद्वार/ऋषिकेश। दो साल बाद हजारों की संख्या में शिवभक्त सावन मास में कांवड़ यात्रा में शामिल होने नीलकंठ पहुंचे। 26 जुलाई तक चलने वाली इस कांवड़ यात्रा में इस लगभग 4 करोड़ शिवभक्तों के देवभूमि आने की संभावना है। गुरुवार को शुरू हुई कांवड़ यात्रा के पहले दिन लाखों शिवभक्त हरकीपैड़ी से गंगाजल भरकर अपने प्रदेशों के लिए रवाना हुए।
गुरुवार को बड़ी संख्या में कांवड़िये बस, ट्रेन आदि साधनों से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली एनसीआर और यूपी के कांवड़िए गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचे। शिवभक्तों ने हरकीपैड़ी में स्नान कर नए वस्त्र धारण कर गंगाजल भरने के बाद कांवड़ की पूजा करके बोल बम के नारों के साथ अपने-अपने प्रदेशों के लिए रवाना हुआ।
कांवड़ यात्रा के पहले दिन नीलकंठ महादेव मंदिर में करीब 30 हजार शिव भक्तों ने जलाभिषेक किया। सुबह 4.30 बजे लेकर शाम तक नीलकंठ धाम ऊं नम: शिवाय मंत्राच्चारण, घंटी और शंखनाद की ध्वनियों के साथ हरहर महादेव के उद्घोष से गुंजित होता रहा। नीलकंठ मंदिर में शिवलिंग में जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं। तीर्थनगरी के गंगाघाट स्वर्गाश्रम, मुनिकीरेती, लक्ष्मणझूला, तपोवन, त्रिवेणी घाट आदि घाटों में शिवभक्तों ने गंगास्नान कर श्रद्धालु गंगाजली भरकर नीलकंठ धाम पहुंचे थे।
नीलकंठ पैदल मार्ग और मोटर मार्ग दोनों जगहों पर हजारों कांवड़ियों का हुजूम उमड़ पड़ा। नीलकंठ धाम के पुजारी शिवानंद गिरि ने बताया कि शाम 7 बजे से 8.30 बजे तक भगवान शिव का श्रृंगार और आरती होती है। इसके बाद फिर धाम में जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो जाता है।
ऋषिकेश से 26 किलोमीटर कीदूरी पर पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लाक में समुद्रतल से करीब 5500 फीट की ऊंचाई पर भगवान शिव का अलौकिक धाम नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर चित्रकूट पर्वत की तलहटी में मधुमति और पंकजा नदी के संगम पर है। नीलकंठ मंदिर में दर्शन के लिए यूं तो हर साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन श्रावण मास में यहां सबसे अधिक संख्या में शिवभक्त कांवड़ लेकर जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते हैं।