देहरादून, 22 दिसम्बर। मूल निवास को लेकर सरकार के आदेश को मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने आंखों में धूल झोंकने वाला करार दिया है। साथ ही 24 दिसंबर को देहरादून में होने वाली महारैली में उत्तराखंड के लोगों से पहुंचने की अपील की है। संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी समेत सभी सदस्यों ने साफ किया है कि सरकार साजिश के तहत आंदोलन खत्म कराने के मूड में है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। पूरा मामला अब उत्तराखंड की जनता के बीच है और जनता को ही फैसला करना है कि उन्हें क्या चाहिए।
उत्तराखंडी अपनी अस्मिता और अधिकारों को लेकर अब आप-पार के मूड में
आगामी 24 दिसंबर को होने वाली उत्तराखण्ड मूल निवास स्वाभिमान महारैली को लेकर मिल रहे अभूतपूर्व समर्थन के मद्देनजर राज्य सरकार सक्रिय हो गई है। सरकार की तरफ से आन्दोलन के प्रमुख साथियों (मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति) से संपर्क किया जा रहा है। हम सरकार की इस पहल और सक्रियता का सम्मान करते हुए स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह जन आन्दोलन है, जिसका नेतृत्व उत्तराखण्ड की आम जनता कर रही है। इसलिए इस आंदोलन से सम्बंधित कोई भी फैसला आम जनता के बीच से ही निकलेगा। उत्तराखंड की जनता अपनी अस्मिता और अधिकारों को लेकर अब आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हो चुकी है।
पूर्व सैनिकों ने भी दिया अपना पूरा समर्थन
मूल निवास का मुद्दा गरमा गया है। राज्य आंदोलनकारियों समेत विभिन्न संगठनों की आगामी 24 दिसम्बर को परेड मैदान में होने वाली रैली में पूर्व सैनिक शामिल होंगे। उत्तराखंड गौरव सैनानी एसोसिएशन ने ऐलान किया है कि रैली में देहरादून से ही तमाम पूर्व सैनिक शामिल होंगे। https://www.facebook.com/Sarthak_Pahal-101257265694407/
एसोसिएशन ने उत्तराखंड में अपनी जमीन और जमीर बचाने के लिए सभी गौरव सैनानियों को भी इस रैली में शामिल होने के लिए आह्वान किया गया है। एसोसिएशन के सचिव गिरीश जोशी ने बताया कि महारैली को लेकर एसोसिएशन से जुड़े गौरव सैनानियों ने जागरूकता अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने देहरादून से तमाम पूर्व सैनिकों व पूर्व अर्द्धसैनिकों के रैली में शामिल होने की संभावना है। कहा कि गौरव सैनानी एसोसिएशन उत्तराखंड की जनता से जुड़े हर मुद्दों को उठाएगा। जोशी ने कहा कि आज उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की जरूरत है। उत्तराखंड को बचाने में जो भी आंदोलन होंगे, उसमें गौरव सैनानी बढ़चढ़कर हिस्सा लेंगे।
प्रमुख मांगें..
1– मूल निवास कानून लागू हो। मूल निवास की कट ऑफ डेट की तारीख 26 जनवरी 1950 घोषित की जाय।
2– ठोस भू कानून लागू हो। शहरी क्षेत्र में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि ब्रिक्री पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे। गैर कृषक द्वारा कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे। पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे।
3– राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार द्वारा विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान तथा लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
4- प्रदेश में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले जिन भी उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय ग्राम निवासी का 25% तथा जिले के मूल निवासी का 25 प्रतिशत हिस्सा अवश्य सुनिश्चित किया जाए। ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को सुनिश्चित किया जाये।