देहरादून, 28 फरवरी। उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता UCC विधेयक पास होने के बाद इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था, जिसे राज्यपाल गुरमीत सिंह ने विधायी विभाग के माध्यम से राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति दौपद्री मुर्मू को भेज दिया है। ऐसे में अब उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू होने से मात्र एक कदम दूर है। राष्ट्रपति मुर्मू की मंजूरी के बाद उत्तराखंड में यह कानून लागू हो जाएगा।
क्या है समान नागरिक संहिता?
यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का सीधा अर्थ है, हर व्यक्ति के लिए एक समान कानून। चाहे वो किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो, सभी पर एक समान कानून लागू होगा। इस कानून के तहत शादी, तलाक और जमीन जायदाद आदि के बंटवारे के मामले में सभी धर्मों के लोगों के एक ही तरह का कानून लागू होगा। समान नागरिक संहिता एक तरह का निष्पक्ष कानून होगा, जिसका किसी धर्म या जाति या फिर वर्ग से कोई संबंध नहीं होगा।
इस कानून से अपराध व कुरीतियों पर लगेंगी रोक
समान नागरिक संहिता विधेयक में मुख्य रूप से महिला अधिकारों के संरक्षण को केंद्र में रखा गया है। विधेयक को चार खंडों विवाह और विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार, सहवासी संबंध (लिव इन रिलेशनशिप) और विविध में विभाजित किया गया है। इसके कानून बनने से समाज में व्याप्त कुरीतियां व कुप्रथाएं अपराध की श्रेणी में आएंगी और इन पर रोक लगेगी। इनमें बहु विवाह, बाल विवाह, तलाक, इद्दत, हलाला जैसी प्रथाएं शामिल हैं। इस संहिता के लागू होने से किसी की धार्मिक स्वतंत्रता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
महिलाओं के संपत्ति में समान अधिकार के प्रावधान
विधेयक में महिलाओं को संपत्ति में समान अधिकार के प्रावधान किए गए हैं। यह कानून उत्तराखंड के उन निवासियों पर भी लागू होगा, जो राज्य से बाहर रह रहे हैं। राज्य में कम से कम एक वर्ष निवास करने वाले अथवा राज्य व केंद्र की योजनाओं का लाभ लेने वालों पर भी यह कानून लागू होगा। अनुसूचित जनजातियों और देश के संविधान की धारा-21 में संरक्षित समूहों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। https://sarthakpahal.com/