
यमकेश्वर। महादेव की उपासना व साधना का पर्व शिवरात्रि पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। शनिवार को दिननभर श्रद्धालुओं ने शिवालयों में जलाभिषेक किया। वहीं, नीलकंठ महादेव में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। यह मान्यता है कि इस मंदिर में कलश चढ़ाने पर संतान की प्राप्ति होती है तथा यहां पर महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु का योग टल जाता है।
यमकेश्वर महादेव में शनिवार तड़के से ही जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी, जो रविवार तक जारी रही। हजारों श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर पुण्य प्राप्त किया, वहीं, हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी में पुलिस और मेला प्रशासन की ओर से स्नान की कड़ी तैयारियां की गई थीं। हरकी पैड़ी के मेला क्षेत्र चप्पे चप्पे पर पुलिस की तैनात थी। भीड़ में सादी वर्दी में महिला सिपाहियों के अलावा बम निरोधक दस्ते तैनात के अलावा घाटों पर जल पुलिस भी तैनात रही। https://sarthakpahal.com/
यमकेश्वर महादेव का धार्मिक महत्व
यमकेश्वर मंदिर के निकट का टीला जो आकार में एक पीपल के पत्ते के समान है, उसके तीनों ओर से सतेड़ी नदी बहती है। उसे यमद्वीप भी कहा जाता है। यमकेश्वर के बारे में एक धार्मिक कथा प्रचलित है। कहते हैं कि जब राहु ने मार्कडेंय को ग्रसना चाहा तो वो शिवलिंग से लिपट गये। उसी समय शिव ने प्रचंड गर्जना करते हुए यमराज के वक्ष पर चरण प्रहार किया। यमराज दूर जा गिरे। परमेश्वर शिव ने यम के केश पकड़ लिए। यमराज ने परमेश्वर शिव से क्षमा मांगी तो भोले बाबा प्रसन्न हो गये व यमराज से बोले ‘इस स्थान पर जो भी भक्त महामृत्युंजय मंत्र का जाप करेगा वह अल्पायु अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होगा। जिस स्थान पर तुम खड़े हो, वहां पर मेरा शिवलिंग है, अब से यह स्थान तुम्हारे नाम से जाना जायेगा। पुराणोक्त मार्केंडेय की तपस्थली आज भी यमकेश्वर के नाम से जानी जाती है। यह मंदिर नीलकंठ महादेव से लगग 30-35 किमी दूरी पर स्थित है।