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अयोध्या के बाद बदरीनाथ भी हारी भाजपा, ‘धर्म’नगरी में नहीं चल रहा BJP का जादू

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देहरादून, 13 जुलाई। 4 जून 2024 को लोकसभा चुनाव के आए नतीजों में भाजपा को भगवान राम की जन्म भूमि अयोध्या (फैजाबाद) लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन के सामने हार का सामना करना पड़ा था. और अब भगवान विष्णु की नगरी बदरीनाथ से भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है. उत्तराखंड में दो सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में गए हैं. भाजपा के लिए ये झटका कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने अयोध्या की तरह ही बदरीनाथ सीट पर मिली जीत को भुनाना शुरू कर दिया है. https://sarthakpahal.com/
अयोध्या के बाद बदरीनाथ में हार
कांग्रेस के तमाम नेता और कार्यकर्ता सोशल मीडिया के जरिए बदरीनाथ सीट हारने पर भाजपा की खूब खिंचाई कर रहे हैं. उत्तराखंड कांग्रेस ने अधिकारिक एक्स अकाउंट पर लिखा, ‘राम ने अयोध्या में भाजपा को हराया, महादेव ने बदरीनाथ में भाजपा को हराया’. कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता इसे संविधान की जीत बता रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तराखंड की दोनों विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करने के बाद भगवान का कांग्रेस पर आशीर्वाद और संविधान की जीत करार दिया है.
भाजपा को था बदरीनाथ से जीत का अंदाजा
राज्य में भाजपा की सरकार होने और पूर्व के विधायक को ही प्रत्याशी बनाने के कारण भाजपा को सीट पर जीत का अंदाजा था. इसके अलावा उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट भी बदरीनाथ सीट से 2017 से 2022 तक विधायक रहे चुके हैं. इसलिए उम्मीद थी कि नतीजें भाजपा के पक्ष में ही आएंगे. इसके अलावा लोकसभा चुनाव में मिली दमदार जीत से भी भाजपा आश्वस्त थी. सीएम धामी ने खुद चुनावी कमान संभाल रखी थी.
देखा जाए तो गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद अनिल बलूनी के कंधों पर भी भाजपा प्रत्याशी को जीताने की जिम्मेदारी थी. क्योंकि बदरीनाथ विधानसभा सीट गढ़वाल लोकसभा सीट के अंतर्गत ही आती है. लेकिन अनिल बलूनी भी इस सीट पर कुछ ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाए. इसके अलावा हरिद्वार लोकसभा सीट से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत भी अपने संसदीय क्षेत्र की मंगलौर सीट पर कुछ खास जादू नहीं दिखा पाए. उत्तराखंड में सरकार, पार्टी और सांसद इन दोनों सीटों को जीताने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हुए.
हार के मायने
लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. इसे लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा था. अनुमान था कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को राम मंदिर का भरपूर फायदा मिलेगा. लेकिन नतीजे उसके अलट ही देखने को मिले. भाजपा फैजाबाद लोकसभा सीट हार गई. इसके बाद विपक्षी दलों ने इसपर जमकर भाजपा को घेरा. विरोधियों ने कहा, जनता अब धर्म पर नहीं, मुद्दों की राजनीति को अहमियत दे रही है. लोकसभा चुनाव के एक महीने बाद ही हुए उपचुनाव में भाजपा को फिर से एक बार हार का सामना करना पड़ा है. इस हार से सबसे बड़ी चर्चा बदरीनाथ विधानसभा सीट की हो रही है, जिसे कांग्रेस ने जीत ली है.
बदरीनाथ विधानसभा सीट ‘धर्म’नगरी के तौर पर जानी जाती है. यहां हेमकुंड साहिब और बदरीनाथ, जोशीमठ जैसे पौराणिक आस्था के केंद्र हैं. ऐसे में इस सीट पर भाजपा की जीत का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन, जनता ने धर्म के हटकर मुद्दों पर वोट किया. इसके साथ ही दलबदल भी भाजपा पर भारी पड़ा. इसके कारण बदरीनाथ में भाजपा की हार हुई. ऐसे में भाजपा को समझना होगा कि धर्म के साथ ही स्थानीय मुद्दे, नैतिकता चुनाव में हार जीत का कारण बन सकती है. https://www.facebook.com/Sarthak_Pahal-101257265694407/
कौन हैं बुटोला: बता दें कि बदरीनाथ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी लखपत बुटोला ने भाजपा के राजेंद्र भंडारी को हराया है. लखपत बुटोला एक बार चमोली से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा कांग्रेस में प्रवक्ता रहने के बाद रुद्रप्रयाग, नरेंद्र नगर और मंगलौर विधानसभा सीट पर पूर्व में कोऑर्डिनेटर की भूमिका में काम कर चुके हैं. अगर देखा जाए तो कांग्रेस में उन्हें अब तक कोई बड़ा पद नहीं मिला है. लेकिन बदरीनाथ सीट जीत कर उनका पार्टी में कद बढ़ गया है.

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