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अमेरिकन ऑगर पर टिकी ऑपरेशन ‘जिंदगी’ की उम्मीदें, लग सकते हैं दो दिन और

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उत्तरकाशी। सिलक्यारा टनल में फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए नई ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है। गुरूवार शाम तक 9 मीटर ड्रिलिंग कर करीब 2 पाइप अंदर डाले जा चुके हैं। यह मशीन एक घंटे मे 5 से 6 मीटर तक ड्रिलिंग कर रही है। पाइप वेल्डिंग और एलाइनमेंट सही करने में करीब एक से दो घंटे का समय लग रहा है। जिससे अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में एक से दो दिन का समय और लग सकता है।

दिल्ली से 25 टन वजनी एक नई अत्याधुनिक ऑगर मशीन मंगवाई गई। जिसकी खेप बुधवार को सेना के तीन हरक्यूलिस विमानों से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर उतारी गई। बुधवार दिन से देर रात तक यह मशीन ट्रकों के माध्यम से सिलक्यारा टनल साईट तक पहुंचाई गई। जिसके बाद देर रात से ही इस मशीन को स्थापित करने का काम शुरू किया गया, जो गुरुवार को सुबह तक चला।

ऑगर मशीन की खासियत
रेस्क्यू टीम से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि हमारे पास तमाम तरह के एक्सपर्ट मौजूद हैं। जिसमें भारत तिब्बत सीमा बल और देशभर के टनल बनाने के महारथी शामिल हैं। हरक्यूलिस विमान से पहुंची अमेरिकन मशीन मजदूरों के ऊपर गिर रहे मलबे के खतरे को भी कम करेगी। ऐसे में मशीन से मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन को काफी गति मिल चुकी है।

दोपहर तक 6 मीटर लंबाई का पहला एमएस पाइप मलबे के अंदर डाला गया। शाम तक एक और पाइप तीन मीटर तक अंदर डाला गया। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया गुरूवार शाम तक करीब 9 मीटर पाइप अंदर डाला गया है, लेकिन इन पाइपों को आपस में वेल्डिंग करने में एक से दो घंटे का समय लग रहा है।

शुरूआत में पाइपों का एलाइनमेंट सही रखने की भी चुनौती बनी हुई है। अभी तक डेढ़ घंटे में मात्र 3 मीटर तक ही पाइप मलबे में डाल जा रहा है। बता दें बीते रविवार को हुए भूस्खलन से सिलक्यारा सुरंग में 70 मीटर तक मलबा फैला हुआ है। जिस गति से नई मशीन ड्रिलिंग कर रही है, उसे देखकर यही लगता है कि अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में एक से दो दिन का समय और लग सकता है।

200 मीटर अंदर फंसे हैं मजदूर
बता दें कि मजदूर सुरंग के एंट्री प्वॉइंट से करीब 200 मीटर अंदर फंसे हैं। जहां मजदूर फंसे हैं, वहां ठीक उनके आगे 50 मीटर से ज्यादा मलबा है। रेस्क्यू टीम के लिए मुश्किल इस बात की है कि टनल का ये हिस्सा बेहद कमजोर है। जैसे ही मजदूरों को निकालने के लिए मलबा निकालने की कोशिश होती है, मलबा फिर से टनल में गिर जाता है। अब इस 50 मीटर से भी ज्यादा लंबे मलबे के बीच 800 और 900 मिलीमीटर चौड़े स्टील पाइप डाले जा रहे हैं। कोशिश है कि मलबे के आर-पार स्टील पाइप डालकर अंदर से एक-एक करके मजदूरों को निकाला जा सके। https://sarthakpahal.com/

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