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बीजेपी की नाक और साख केदारनाथ उपचुनाव की तारीख का ऐलान, 20 नवंबर को वोटिंग, 23 को रिजर्ल्ट

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देहरादून, 15 अक्टूबर। उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है. जिसके बाद आचार संहिता लागू हो गई है. यह सीट केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद खाली हो गई थी. अब इस सीट उपचुनाव होना है. वहीं, केदारनाथ सीट को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है.
केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को होगी वोटिंग
केदारनाथ उपचुनाव के लिए तारीख की घोषणा हो गई है. इसके तहत 20 नवंबर को मतदान होगा तो 23 नवंबर को मतगणना होगी. उधर, केदारनाथ उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही मैदान में उतरकर माहौल बनाने की कोशिश कर रही हैं. कांग्रेस ने जहां हरिद्वार से लेकर केदारनाथ तक ‘केदारनाथ बचाओ यात्रा’ निकाली तो वहीं बीजेपी संगठन भले ही अभी कुछ खास न कर पाया हो, लेकिन सरकार के स्तर पर जिस तरह से घोषणाएं हो रही हैं, वो बताती हैं कि सरकार केदारनाथ में होने वाले चुनाव को अपनी नाक का सवाल बना रही है. एक के बाद एक सरकार की तरफ से घोषणाएं की गई हैं.
बीजेपी की साख और नाक दोनों का सवाल बना केदारनाथ उपचुनाव
बीजेपी के लिए यह चुनाव साख और नाक का सवाल बना हुआ है. क्योंकि, हाल ही में हुए दो उपचुनाव बीजेपी के लिए बेहद निराशाजनक रहे थे. बीजेपी को मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीट हारनी पड़ी. जिसके बाद बीजेपी ने अब केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव को अपने अहम की लड़ाई मान लिया है. बीजेपी संगठन ने केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव के लिए बीजेपी प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी के साथ पांच मंत्रियों की ड्यूटी लगाई है.
बीजेपी के पास कई चेहरे
वहीं, दोनों ही पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों को तलाशने में भी जुटी हुई हैं. केदारनाथ में अब तक बीजेपी की विधायक शैलारानी रावत थी, लेकिन उनके निधन के बाद बीजेपी को नया चेहरा तलाशना है. बीजेपी के पास कई ऐसे चेहरे हैं, जो पहले भी यहां पर चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा चुके हैं. जिसमें पूर्व विधायक आशा नौटियाल, विधायक शैलारानी रावत की बेटी ऐश्वर्या रावत के साथ कुलदीप रावत और चंडी प्रसाद भट्ट जैसे दिग्गजों के नाम शामिल हैं. बीजेपी बीते 15 दिनों से इस पूरे क्षेत्र में अलग-अलग सर्वे करवाकर ये जानने की कोशिश कर रही है कि माहौल और जनता किसके पक्ष में है.
कांग्रेस किस पर लगाएगी दांव? 
वहीं, बात अगर कांग्रेस की करें तो उत्तराखंड में दो विधानसभा सीटें जीतकर उत्साहित नजर आ रही है. हालांकि, हरियाणा के परिणाम से काफी हद तक निराशा मिली है, लेकिन उत्तराखंड के मौजूदा हालातों को देखकर कांग्रेस को यही लगता है कि केदारनाथ में जनता उनका साथ देगी. कांग्रेस के पास पूर्व विधायक मनोज रावत, हरक सिंह रावत जैसे नाम शामिल थे, लेकिन हरक सिंह रावत के चुनाव न लड़ने की घोषणा के बाद कई स्थानीय नए चेहरे भी शामिल हैं. हालांकि, अभी दोनों ही पार्टियों ने ये साफ नहीं किया है कि पार्टी किसको अपना उम्मीदवार बनाएगी.
केदारनाथ विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की तिथियां का ऐलान होने के बाद ही रुद्रप्रयाग जिले में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. 15 अक्टूबर से 23 नवंबर तक रुद्रप्रयाग जिले में आदर्श आचार संहिता लागू रहेगी. चुनाव के लिए एक आरओ और तीन एआरओ तैनात किए जाएंगे. चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई है. सभी दिव्यांग मतदाता और 85 से अधिक उम्र के सभी मतदाताओं के लिए होम वोटिंग की सुविधा दी जाएगी. इसके लिए इच्छुक मतदाता अपने क्षेत्र के बीएलओ को आवेदन कर सकते हैं. इसके बाद होम वोटिंग के लिए आवेदनकर्ताओं को होम वोटिंग की सुविधा दी जाएगी.
– विजय कुमार जोगदंडे, अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तराखंड

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