इस बार दिवाली ने कर दिया कन्फ्यूज, 31 अक्टूबर या 1 नवम्बर, जानें सही तारीख
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर। हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. यह हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है. दिवाली मुख्य रूप से भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है. इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर आयोध्या वापस लौटे थे. इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरी नगरी को दीपों से सजाया था. तभी इस त्योहार को मनाने की परंपरा चली आ रही है.
इस साल दीपावली के दिन-तारीख को लेकर बड़ा कन्फ्यूजन है. कोई 31 अक्टूबर तो 1 नवंबर को दिवाली का पर्व बता रहा है. आइए आपको दीपावली की सही तारीख बताते हैं.
किस दिन मनाई जाएगी दिवाली?
इस वर्ष दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. जयपुर के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्वत परिषद द्वारा आयोजित धर्मसभा में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है. प्रतिष्ठित विद्वानों, ज्योतिषाचार्यों और धर्मशास्त्राचार्यों ने ज्योतिषीय गणनाओं और शास्त्रीय परंपराओं का पूरा ध्यान रखते हुए तारीख का ऐलान किया है.
इस सभा में कार्तिक अमावस्या और लक्ष्मी पूजन के लिए 31 अक्टूबर को शास्त्रसम्मत माना गया है. विद्वानों और ज्योतिषाचार्यों ने यह भी कहा कि 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने को लेकर कोई विवाद नहीं है. दृश्यपक्ष की गणना में भी 31 अक्टूबर को ही दीपावली सिद्ध होती है.
सभा अध्यक्ष प्रो. रामपाल शर्मा ने कहा कि धर्मशास्त्रों के अनुसार 1 नवंबर को प्रदोष काल में केवल कुछ मिनट ही अमावस्या तिथि रहेगी. ऐसे में लक्ष्मी पूजा का समय नहीं मिलेगा. जबकि 31 अक्टूबर को प्रदोष काल व अर्धरात्रि दोनों में अमावस्या के चलते दीपावली इसी दिन मनाना उचित है.
31 अक्टूबर को अमावस्या का प्रवेश प्रदोष काल में हो जाता है. और प्रदोष आते ही दीपावली की रात्रि शुरू हो जाती है. वृष लग्न आ जाता है. ब्रह्म पुराण के अनुसार, राजा बलि के कारागार से मुक्त होकर लक्ष्मी बिल्कुल स्वच्छंद होकर आधी रात में प्रत्येक घर-घर जाती हैं. इसलिए संपूर्ण देश के विद्वानों की सहमति से दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी.
क्यों 1 नवंबर को नहीं मनेगी दिवाली?
पंडित कौशल दत्त शर्मा ने कहा कि अगर प्रदोष काल 05.41 बजे से 08.50 बजे के बाद रात में भी 24 मिनट अमावस्या मिलती तो 1 नवंबर को दीपावली मनाई जा सकती थी. 1 नवंबर को सूर्यास्त के बाद केवल कुछ मिनट तक अमावस्या मिलने से लक्ष्मी पूजा संभव ही नहीं है. उन्होंने 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने की बात कही. एक तर्क यह भी है कि लक्ष्मी जी केवल एक दिन ही अर्धरात्रि में अपनी कृपा बरसाने के लिए आकाश में भ्रमण करती हैं, जो कि 31 अक्टूबर की अर्धरात्रि है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 से लेकर 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 31 अक्टूबर की रात को अमावस्या तिथि विद्यमान रहेगी. इसलिए 31 अक्टूबर की रात को ही दीपावली का त्योहार तर्कसंगत है.
दीपावली की पूजन विधि
दिवाली पर पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें. चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं. पहले गणेश जी की मूर्ति रखें. फिर उनके दाहिने और लक्ष्मी जी को रखें. आसन पर बैठें और अपने चारों और जल छिड़क लें. इसके बाद संकल्प लेकर पूजा आरम्भ करें. एक मुखी घी का दीपक जलाएं. फिर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल और मिठाइयां अर्पित करें.
इसके बाद सबसे पहले गणेश और फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. अंत में आरती करें और शंख ध्वनि करें. घर में दीपक जलाने से पहले थाल में पांच दीपक रखकर फूल आदि अर्पित करें. इसके बाद घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक रखना शुरू करें. घर के अलावा कुएं के पास और मंदिर में दीपक जलाएं. दीपावली का पूजन लाल, पीले या चमकदार रंग के वस्त्र धारण करके करें. काले, भूरे या नीले रंग से परहेज करें.