अगले महीने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की तैयारी, बरसात में मतदान चुनौती

देहरादून, 15 जून। सरकार, प्रदेश में अगले महीने बरसात में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की तैयारी में है। पंचायतीराज विभाग और राज्य निर्वाचन आयोग इसके लिए कवायद में जुटे हैं, लेकिन आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य में बरसात के दौरान जब पहाड़ में नदी, नाले व गदेरे उफान पर होंगे चुनाव करवाना आसान नहीं होगा। वहीं, आयोग के सामने इस मौसम में मत प्रतिशत बढ़ाना भी चुनौती होगी।
प्रदेश की त्रिस्तरीय, ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल 2024 में खत्म हो चुका है, लेकिन इस बीच चुनाव न कराने की वजह से पंचायतों में प्रशासकों की दो बार नियुक्ति हो चुकी है। पहले निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को और अब प्रशासनिक अधिकारियों को पंचायतों का प्रशासक बनाया गया है।
बरसात में मतदान का सीधे असर मतदान पर पड़ना तय
इसे देखते हुए सरकार अब अधिक समय तक चुनाव टालने की स्थिति में नहीं है। यही वजह है कि आरक्षण का निर्धारण किए जाने के बाद अगले महीने चुनाव कराने की तैयारी है। शासन की ओर से जारी अधिसूचना में भी प्रस्तावित चुनाव अगले महीने जुलाई में करवाया जाना बताया गया है, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों का मानना है कि यदि जुलाई में पंचायत चुनाव हुए तो राज्य गठन के बाद यह पहला मौका होगा। जब बरसात में चुनाव होंगे। बरसात में चुनाव का मतलब है कि मत प्रतिशत पर इसका सीधा असर पड़ेगा। वहीं, मतदान कर्मचारियों को दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंचने में खासी मुश्किलें आएंगी।
अक्तूबर 2019 में 69.59 फीसदी हुआ था मतदान
प्रदेश में अक्तूबर 2019 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मतदाताओं ने जमकर उत्साह दिखाया था। तब 69.59 फीसदी मतदान हुआ था। इसमें सबसे अधिक ऊधमसिंह नगर में 84.26 फीसदी और सबसे कम अल्मोड़ा में 60.04 फीसदी मतदान हुआ था।
पर्वतीय जिलों में पहले ही कम रहा है मतदान प्रतिशत
प्रदेश के पर्वतीय जिलों में पहले ही मतदान प्रतिशत कम रहा है। पौड़ी में 61.79 और रुद्रप्रयाग में 62.98 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं, टिहरी में मतदान 61.19 प्रतिशत हुआ।
बरसात में पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी आदि पर्वतीय जिलों में नदी, नाले उफान पर रहते हैं। रास्तों पर मलबा आने से कई बार आवाजाही पूरी तरह से ठप हो जाती है। यदि इस दौरान चुनाव हुए तो निश्चित रूप से मत प्रतिशत पर इसका असर पड़ेगा। जगत मार्तोलिया, प्रदेश संयोजक पंचायत संगठन
पंचायत चुनाव के लिए राज्य सरकार से विचार विमर्श किया जाना है। बारिश की वजह से चुनाव को बहुत अधिक समय तक लंबित नहीं रखा जा सकता। बरसात के साथ ही अन्य चीजों को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसके लिए जिलाधिकारियों के साथ कंटीजेंसी प्लान पर बात की जाएगी।
सुशील कुमार, राज्य निर्वाचन आयुक्त