
देहरादून, 3 मई। हरिद्वार जमीन घोटाले पर सरकार की तरफ से बड़ी कार्रवाई करते हुए डीएम और नगर आयुक्त समेत अधिकारियों को सरकार ने निलंबित कर दिया है. उत्तराखंड के इतिहास में दूसरी बार है जब किसी डीएम को किसी मामले में दोषी मानते हुए निलंबित किया गया है. पूरा मामला 54 करोड़ के जमीन घोटाला से जुड़ा है. वहीं अब धामी ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड सरकार भ्रष्टाचार के मामले पर कुछ भी कोताही नहीं बरतेगी.
सीएम धामी ने कहा कि, ‘हमारी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलती है. हम इसे जमीनी स्तर से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. जैसे ही हरिद्वार भूमि घोटाले का मामला मेरे संज्ञान में आया, तुरंत कार्रवाई की गई. अवैध भूमि लेनदेन में शामिल लोगों के खाते फ्रीज कर दिए गए. जांच रिपोर्ट की समीक्षा के बाद तत्कालीन नगर आयुक्त, जिला अधिकारी और प्रशासक समेत सात अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. अब पूरे मामले की गहन जांच के लिए विजिलेंस को सौंप दिया गया है’.
सीएम धामी ने कहा कि, ‘सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना और प्रशासन में जवाबदेही सुनिश्चित करना है. हाल के महीनों में सरकार ने यह दिखा दिया है कि अब सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर नहीं, बल्कि बड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी, चाहे उनका पद या प्रभाव कितना ही बड़ा क्यों न हो. पहले जिन अधिकारियों पर सवाल उठाने में लोग हिचकते थे, अब उनके खिलाफ भी कठोर कदम उठाए जा रहे हैं.
ये है मामला
साल 2024 में हरिद्वार नगर निगम द्वारा नगर निगम चुनाव के दौरान ग्राम सराय में 54 करोड़ रुपए में 2.3070 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी. उस दौरान हरिद्वार नगर निगम की जिम्मेदारी तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के हाथों में थी. आरोप है कि नगर निगम ने जो जमीन खरीदी, उसकी कीमत 13 करोड़ रुपए थी. जबकि उसे 54 करोड़ रुपए में खरीदा गया. हालांकि आज तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया कि जमीन किस उद्देश्य के लिए खरीदी गई.
जिन वरिष्ठ अधिकारियों पर गिरी गाज
कर्मेंद्र सिंह (DM, हरिद्वार) भूमि क्रय की अनुमति और प्रशासनिक स्वीकृति में संदेहास्पद भूमिका. वरुण चौधरी (नगर आयुक्त, हरिद्वार) बिना प्रक्रिया के प्रस्ताव पारित किया और वित्तीय अनियमितताओं में भूमिका निभाई. अजयवीर सिंह (PCS, SDM): निरीक्षण और में लापरवाही, जिससे गलत रिपोर्ट शासन तक पहुंची. इन तीनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से उनके पदों से हटाया गया है और विभागीय जांच प्रारंभ कर दी गई है https://sarthakpahal.com/
अन्य निलंबित अधिकारी
निकिता बिष्ट- वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम, विक्की- वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक, राजेश कुमार- कानूनगो, रजिस्ट्रार, कमलदास- मुख्य प्रशासनिक अधिकारी
जांच प्रारंभ होने के बाद ही इन अधिकारियों को निलंबित किया गया था
रविंद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त, आनंद सिंह मिश्रवाण – प्रभारी अधिशासी अभियंता, लक्ष्मीकांत भट्ट – कर एवं राजस्व अधीक्षक, दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता, साथ ही, सेवानिवृत्त संपत्ति लिपिक वेदपाल का सेवा विस्तार समाप्त कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है.
इस घोटाले की आगे की जांच अब विजिलेंस विभाग को सौंप दी गई है. मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी के अनुसार वरुण चौधरी ने जीतनी भी वितीय स्वीकृति की है उसकी जांच भी विजिलेंस करेगी.देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/