
देहरादून, 5 जून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शासन ने चमोली जिले के थराली में बैली ब्रिज निर्माण में लापरवाही बरतने के आरोप में लोक निर्माण विभाग के दो अधिशासी अभियंता समेत चार अभियंताओं को निलंबित कर दिया है। विभागीय सचिव ने इन इंजीनियर्स को निलंबित करने का आदेश जारी किया है. 24 घंटे के भीतर शासन ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्रवाई से जुड़ा आदेश जारी कर दिया है।
चमोली में थराली के अंतर्गत डूंगरी रतगांव मोटर मार्ग पर पुल निर्माणाधीन था. इस पुल को प्राणमती नदी पर करीब 60 मी बैली ब्रिज के रूप में तैयार होना था. एक दिन पहले ही खबर आई कि यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया है. मामला सामने आने के बाद फौरन शासन स्तर पर पुल के क्षतिग्रस्त होने को लेकर जरूरी दिशा निर्देश देते हुए जांच के लिए कहा गया.
लोनिवि सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने प्रकरण में लोनिवि निर्माण खंड थराली के अधिशासी अभियंता दिनेश मोहन गुप्ता, प्रांतीय खंड कर्णप्रयाग (अतिरिक्त कार्यभार निर्माण खंड थराली) के अधिशासी अभियंता नवीन लाल, निर्माण खंड थराली के सहायक अभियंता आकाश हुड़िया को निलंबित कर दिया है। प्रमुख अभियंता राजेश चंद्र शर्मा ने प्रकरण में ही निर्माण खंड थराली के जेई मयंक को निलंबित किया है। सभी अभियंताओं पर कार्य में लापरवाही का आरोप है। https://sarthakpahal.com/
मुख्य अभियंता पौड़ी कार्यालय से संबद्ध
प्रकरण में निलंबित चारों इंजीनियरों को मुख्य अभियंता कार्यालय पौड़ी से संबद्ध किया गया है। निलंबन आदेश में कहा गया है कि आरोप इतने गंभीर हैं कि इनके स्थापित होने की दशा में उक्त अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्वों के प्रति जिम्मेदारी की भावना से कार्य करे। उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करना एवं विकसित राज्य ही सरकार का लक्ष्य है। यदि कोई अधिकारी-कर्मचारी अपने दायित्वों और कर्तव्यों के प्रति लापरवाही करता है, जनहित के कार्यों के प्रति लापरवाही करता है या भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है उसे बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लापरवाह कर्मचारियों और अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
भार नहीं झेल सका पुल
पुल भार नहीं झेल सका और टूटकर गदेरे में जा गिरा। डुंग्री-रतगांव मार्ग पर घटगाड़ गदेेरे में 60 मीटर लंबे बैली ब्रिज बनाने की स्वीकृति शासन ने वर्ष 2024 में दी थी। लोनिवि ने इस बैली ब्रिज का निर्माण दो माह पूर्व शुरू किया था। पुल का काम लगभग पूरा हो गया था। विभागीय लापरवाही इस कदर रही कि ठेकेदार के श्रमिकों की ओर से इस नवनिर्मित बैली ब्रिज के बर्थ (रस्से) और सपोर्ट अलग-अलग हटाए जाने थे लेकिन यह दोनों एक साथ हटा दिए गए। पुल भार नहीं झेल सका और टूटकर गदेरे में जा गिरा।