
देहरादून, 13 जून। वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (UTU) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर बेहतर करियर बनाने और अच्छी नौकरी पाने के सपने तो छात्रों ने पाले हैं, लेकिन नियमित कक्षाओं में उपस्थित होने को छात्र तैयार नहीं हैं। नौ जून से सम सेमेस्टर परीक्षा शुरू होनी हैं। कम उपस्थिति के कारण 289 छात्र-छात्राओं को परीक्षा से बाहर कर दिया है। विवि ने इन छात्रों की सूची यूटीयू के वेबसाइट पर अपलोड कर दी है।
प्रत्येक छात्र की उपस्थिति 75 फीसदी अनिवार्य
UTU प्रशासन ने संबद्ध 12 संस्थानों के प्राचार्य को छात्रों की उपस्थिति लिस्ट उपलब्ध कर पहले नोटिस जारी किया था। कहा गया था कि अभी से छात्र कक्षाओं में नियमित उपस्थित नहीं रहे तो इन्हें आगामी परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा। UTU के परीक्षा नियंत्रक डा. वीके पटेल ने समस्त संस्थानों के निदेशक व प्राचार्य को पत्र जारी किया। बताया कि विवि के आर्डिनेंस के अनुसार प्रत्येक छात्र की प्रति सेमेस्टर उपस्थिति 75 प्रतिशत से अधिक होना अनिवार्य है। यदि इससे कम पाई तो छात्र और संस्थान को स्पष्टीकरण देना होगा।
कई छात्र तो ऐसे हैं जिनकी उपस्थिति 10 से 30 प्रतिशत तक है। ऐसे छात्रों को सेमेस्टर परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी नहीं किए जाएंगे। बताया कि इससे पहले विषय सेमेस्टर परीक्षा के लिए 829 छात्र ऐसे पाए गए जिनकी उपस्थिति न्यूनतम थी और उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया। इस बार 289 छात्र-छात्राएं परीक्षा से वंचित रहेंगे और किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं दी जाएगी।
यूटीयू के यूएमएस पोर्टल पर उपलब्ध है छात्रों की उपस्थिति
UTU के छात्रों की संपूर्ण जानकारी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट पोर्टल (यूएमएस) पर है। संबंधित संस्थानों को हर महीने अपने यहां के छात्रों की उपस्थिति का संपूर्ण ब्योरा देना होता है। अंतिम बार 8 मई को प्राप्त उपस्थिति के आंकड़ों को आधार बनाकर विवि ने कालेज के प्राचार्य व निदेशकों को चेताया कि कम उपस्थिति वाले छात्रों को कड़ी चेतावनी दी जाए अन्यथा विवि स्तर पर संस्थान और छात्र दोनों पर कार्रवाई की जाएगी।
कई निजी विव और कालेज में उपस्थिति कोई मानक नहीं
सरकारी, सहायता प्राप्त अशासकीय और स्ववित्तपोषित उच्च शिक्षा संस्थानों में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। लेकिन देखने में आ रहा है कुछ उच्च शिक्षा संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश संस्थानों में उपस्थिति मानकों की अनदेखी की जा रही है।
इसमें सरकारी और निजी क्षेत्र के सभी उच्च शिक्षा संस्थान हैं। जब दाखिला देने वाले संस्थान ही उपस्थिति को लेकर सख्त नहीं हैं तो छात्र भी कक्षाओं में आना मुनासिब नहीं समझते हैं। कई कालेजों में तो छात्र घर से कालेज के लिए आते हैं और सैर-सपाटा कर शाम को घर लौट जाते हैं।
दून-हरिद्वार के कई संस्थान फीस उगाई के अड्डे
देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, ऊधमसिंह नगर के दर्जनों ऐसे उच्च शिक्षा संस्थान हैं जो केवल फीस उगाई के अड्डे हैं। इन संस्थानों के प्रबंधन केवल उच्च शिक्षा के नाम पर व्यापार कर रहे हैं। यह संस्थान केवल यूटीयू से ही नहीं, बल्कि एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि व श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि से भी संबद्ध हैं। पारंपरिक पाठयक्रम जैसे बीए, बीएससी एवं बीकाम में ही नहीं, बीटेक, एमबीए, एमसीए, एमटेक, पीजीडीसीए, बीफार्मा, एमफार्मा, बीएड, एलएलबी, बीए-एलएलबी जैसे प्रोफेशनल कोर्सों में भी मोटी सेमेस्टर फीस वसूलते हैं और सत्र के अंत में केवल डिग्री देने का काम करते हैं। इन संस्थान की नियामक संस्था की ओर से नियमित जांच-पड़ताल नहीं की जाती है।
यूटीयू के पारित अध्यादेश के अनुसार 75 प्रतिशत उपस्थिति प्रत्येक छात्र की सभी सेमेस्टरों में अनिवार्य है। विवि कई बार संबद्ध संस्थानों को पत्र जारी कर चुका है। विवि का यूएमएस पोर्टल पर उपस्थिति नियमित अपलोड करने का प्रविधान भी किया गया है। कम उपस्थिति के कारण छात्रों के अध्ययन-अध्यापन के गुणवत्तापरक करने में संस्थान और विवि स्तर पर प्रयास विफल हो रहे हैं। विवि इस लापरवाही को बिल्कुल भी सहन नहीं करेगा और नियमानुसार कम उपस्थिति वाले छात्रों को सेमेस्टर परीक्षा के प्रवेश पत्र निर्गत नहीं किए जाएंगे।
– प्रो. ओंकार सिंह, कुलपति, वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विवि