
देहरादून, 13 जून। केंद्र और राज्य सरकारें संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दे रही हैं. ताकि आने वाली पीढ़ियों तक अपनी सांस्कृतिक विरासतों को पहुंचाया जा सके. यही वजह है कि नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान और संस्कृति के संरक्षण पर जोर दिया गया है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार, प्रदेश की सांस्कृतिक विरासतों से बच्चों को रूबरू कराने के लिए नई पहल शुरू करने जा रही है.
लोक धुन कार्यक्रम शुरू कर रही उत्तराखंड सरकार
उत्तराखंड सरकार समग्र शिक्षा के तहत लोक धुन कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है. इसके तहत प्रदेश के स्कूली बच्चों को ट्रेडिशनल वाद्य यंत्रों की ट्रेनिंग स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा दी जाएगी. आखिर क्या है लोक धुन कार्यक्रम. इससे कैसे बच्चों को सांस्कृतिक विरासत की जानकारी के साथ ही लोक कलाकारों को भी मिलेगा रोजगार? पेश है एक खास रिपोर्ट.
बच्चों की सांस्कृतिक विरासतों से पहचान करायी जाएगी
भारत सरकार, भारतीय ज्ञान और परंपरा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को अपने भारतीय ज्ञान और परंपरा की जानकारी हो. यही वजह है कि साल 2020 में लागू हुई नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान और परंपरा पर विशेष जोर दिया गया है. इसके साथ ही बीएचयू और दिल्ली यूनिवर्सिटी में मास्टर्स इन हिंदू स्टडीज कोर्स की शुरुआत भी की गई, ताकि भारतीय ज्ञान और भारतीय परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए इस पर शोध और अध्ययन किया जा सके. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार भी दून यूनिवर्सिटी में एमए इन हिंदू स्टडीज कोर्स को इस शैक्षिक सत्र से शुरू करने जा रही है, ताकि भारतीय ज्ञान परंपराओं के साथ ही उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत को विस्तार से समझा और समझाया जा सके.देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/
स्थानीय कलाकार देंगे जानकारी
इसी क्रम में इस शैक्षणिक सत्र 2025-26 से उत्तराखंड शिक्षा विभाग भी लोक धुन कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है. इसके तहत स्कूली बच्चों को उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ ही लोक संगीत और सांस्कृतिक विरासत से रूबरू कराया जाएगा. खास बात यह रहने वाली है कि स्थानीय लोक कलाकार ही इसकी जानकारी बच्चों को देंगे. इससे न सिर्फ बच्चों को अपने स्थानीय वाद्य यंत्रों और लोकगीतों की जानकारी होगी, बल्कि लोक कलाकारों को भी आर्थिक रूप से लाभ मिल सकेगा. उत्तराखंड राज्य के तमाम जो लोकगीत हैं वो कहीं ना कहीं उत्तराखंड की संस्कृति को गीत के जरिए बयां करते हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार ने लोक धुन अभियान के जरिए आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का निर्णय लिया है.
संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा विभाग समग्र शिक्षा अभियान के तहत लोक धुन कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रदेश के जो स्थानीय लोक कलाकार हैं और इन वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल करते हैं, वो बच्चों को अनुदेशक के रूप में ट्रेनिंग देंगे. लोक धुन कार्यक्रम के अंतर्गत लोक नृत्य और लोक गीतों पर भी जोर दिया जाएगा. शुरुआती चरण में 450 स्कूलों के साथ इस कार्यक्रम को शुरू किया जा रहा है. समय के साथ इस कार्यक्रम को अन्य स्कूलों में भी चलाया जाएगा.
-कुलदीप गैरोला, अपर निदेशक, राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान
लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने किया स्वागत
उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार की ओर से लोक धुन कार्यक्रम शुरू करना स्वागत योग्य कदम है. बहुत पहले मैंने सोशल मीडिया के जरिए सरकार को सुझाव दिया था कि स्कूलों में उत्तराखंड के लोक संस्कृति की भी शिक्षा दी जानी चाहिए. नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि- लोक संस्कृति सिर्फ गाना बजाना नहीं है, बल्कि हमारा इतिहास भी है. लोक गीतों में उत्तराखंड का कल्चर, संस्कृति, इतिहास भरा पड़ा है. ऐसे में बच्चों को पता चलेगा कि कहां से हमारी यात्रा शुरू हुई? अगर यह बच्चों को पढ़ाया जाता है, तो बच्चों को तमाम जानकारियां मिलेंगी.
-नरेंद्र सिंह नेगी, लोकगायक, उत्तराखंड