
गोपेश्वर ( चमोली), 6 मई। बदरीनाथ धाम में मां लक्ष्मी के रूप में पूजनीय दुर्लभ बदरी तुलसी पर संकट मंडरा रहा है। प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होने से बदरी तुलसी का भी अनियोजित ढंग से दोहन होने लगा है। छह माह तक बदरी तुलसी का दोहन होता है जिससे अब कई जगहों पर तुलसी की पौधे पनप नहीं पा रही हैं।
तुलसी के बिना बदरीनाथ की पूजा अधूरी
भगवान बदरीनाथ को बदरीतुलसी प्रिय है। तुलसी के बिना बदरीनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है। यही कारण है कि हर दिन महाभिषेक के बाद बदरीनाथ भगवान का तुलसी की माला से शृंगार किया जाता है। श्रद्धालु भी बदरीनाथ को बड़ी संख्या में बदरी तुलसी अर्पित करते हैं। साथ ही तुलसी की माला को प्रसाद के रूप में अपने साथ ले जाते हैं।
ग्रामीण बदरीतुलसी की माला है बनाते
बदरीनाथ के रड़ांग बैंड, कंचननाला के ऊपर, घुड़शिल, वसुधारा, माणा गांव, नाग-नागिन, इंद्रधारा और हनुमान चट्टी क्षेत्र में बदरी तुलसी उगती है। यह तुलसी बामणी (पांडुकेश्वर), लामबगड़ और हनुमान चट्टी के ग्रामीणों की आजीविका का साधन है। सीजन में 800 से अधिक ग्रामीण बदरी तुलसी की माला बनाते हैं।
रोज दस हजार तुलसी की माला बिकती है मंदिर में
प्रतिदिन मंदिर में लगभग 10,000 तुलसी की माला की बिक्री होती है। इस माला की 50 रुपये से लेकर 500 रुपये में बिक्री होती है। तीर्थयात्रा में हर वर्ष इजाफा होने से तुलसी माला की डिमांड भी बढ़ती जा रही है। इसका अनियोजित ढंग से दोहन होने लगा है। पांडुकेश्वर की विजया देवी कहती हैं कि तुलसी माला बनाने का काम यात्रा बढ़ने पर अधिक हो गया है। कई जगहों से तुलसी धीरे-धीरे कम हो रही है। नीती घाटी के तपोवन क्षेत्र से तुलसी की आपूर्ति करनी पड़ती है। जुलाई माह तक तुलसी ढूंढे नहीं मिलती है। वे कहती हैं कि बदरीनाथ क्षेत्र में तुलसी की पैदावार बढ़ाने पर काम होना चाहिए।