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दीवार गिरी और मलबे में दबकर खामोश हो गयीं नन्हीं किलकारियां, उजड़ गया संसार

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उत्तरकाशी, 20 जून। काली रात, एक दीवार… और बुझ गया एक पूरा परिवार। बच्चों की मासूम हंसी सब मलबे में दबकर खामोश हो गईं। दीवार गिरते ही चार जिंदगियां उजड़ गईं। जिस आंगन में किलकारियां गूंज रही थी वहां अब मातम पसरा है।

दस माह की नन्ही जान अभी ठीक से बोलना भी नहीं जानती थी। सिर्फ ममता की गोद पहचानती थी, लेकिन एक रात ने सब छीन लिया। घर की दीवार क्या गिरी, पूरा जीवन ढह गया। मां-बाप की उम्मीदें, बच्चों की मासूम हंसी, सब मलबे में दबकर खामोश हो गईं।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में एक हृदय विदारक हादसे ने पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो दिया। राजस्व ग्राम ओडाटा के मोरा तोक स्थित गुजर बस्ती में शुक्रवार देर रात दो बजे एक कच्चे मकान की दीवार ढह गई। हादसा इतना भयानक था कि एक ही परिवार के चार सदस्य मां, बाप, बेटी और बेटा मलबे के नीचे दबकर काल के गाल में समा गए।

गुलाम हुसैन, उनकी पत्नी रुकमा खातून (23 वर्ष), तीन साल का मासूम बेटा आबिद और दस माह की नन्ही सलमा मलबे में दब गई। घटना की सूचना मिलते ही तहसीलदार मोरी जब्बर सिंह असवाल, राजस्व उप निरीक्षक, एसडीआरएफ और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। राहत और बचाव कार्य तुरंत शुरू किया गया, लेकिन चारों की सांसें तब तक थम चुकी थीं।

तहसीलदार जब्बर सिंह असवाल ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि मलबा बहुत भारी था और बचाव दल ने पूरी कोशिश की, लेकिन कोई सदस्य जीवित नहीं मिल सका। घटना के पीछे भारी बारिश और कच्चे मकान की कमजोर स्थिति को संभावित कारण माना जा रहा है, हालांकि प्रशासन ने विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। हादसे ने न केवल एक परिवार को खत्म कर दिया, बल्कि पूरे गांव को गहरे मातम में डाल दिया। लोग अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहे कि वो नन्हे-नन्हे कदम, जो आंगन में किलकारियां भरते थे, अब हमेशा के लिए खामोश हो गए हैं।

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