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एम्स के चिकित्सकों का शोध: घुटनों की बीमारी के उपचार में आधारित एकीकृत चिकित्सा पद्धति कारगर

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ऋषिकेश, 18 जुलाई। घुटनों से संबंधित बीमारी का उपचार योग व आयुर्वेद पर आधारित एकीकृत चिकित्सा पद्धति से करने पर बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। इस उपचार पद्धति से ऑपरेशन की स्थिति तक पहुंचने से बचा जा सकता है। इस बात की पुष्टि एम्स के चिकित्सकों के शोध में हुई है। इस संयुक्त पद्धति से उपचार करने पर मरीजों में कम समय में ही सकारात्मक परिणाम दिखे हैं।

एम्स के जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग ने पीएमआर व आयुष विभाग के सहयोग से 30 मरीजों पर तीन महीने तक शोध किया। उक्त सभी मरीज घुटनों के ऑस्टियोऑर्थराइटिस से पीड़ित थे। जिन्हें घुटनों के जोड़ों में दर्द के साथ ही चलने फिरने में भी दिक्कत हो रही थी। एम्स के चिकित्सकों ने इनके उपचार के लिए योग का एक मॉड्यूल भी तैयार किया।

इन सभी मरीजों को तीन माह तक लगातार योग कराने के साथ ही आयुर्वेदिक दवाएं भी दी गईं। तीन माह बाद सभी मरीजों में 80 फीसदी तक का सुधार देखा गया है। चिकित्सकों का कहना है कि इन रोगियों का एक साल तक परीक्षण किया जाएगा। इस शोध में अभी और भी मरीजों को शामिल किया जाएगा।

रोग के लक्षणों को कम कर सकती है
एम्स प्रशासन का कहना है कि योग और आयुर्वेद पर आधारित यह शोध घुटनों के ऑस्टियोऑर्थराइटिस के रोगियों के लिए मानव कल्याण की दिशा में एक अभिनव प्रयास है। जिसका उद्देश्य घुटनों के ऑस्टियोऑर्थराइटिस से पीड़ितों की जीवन गुणवत्ता और रोग नियंत्रण में योग और आयुर्वेद पर आधारित एकीकृत चिकित्सा पद्धति की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना है।

चिकित्सकों का कहना है कि इस शोध का उद्देश्य यह जानना है कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां योग और आयुर्वेद जब एकीकृत रूप से संयोजित की जाती है तो वह इस रोग के लक्षणों को कम कर सकती है, रोगियों की दैनिक जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकती है, और उन्हें दीर्घकालिक राहत दे सकती है।

यह शोध मानव कल्याण की भावना से प्रेरित होकर प्रारंभ किया गया है। हम यह देखना चाहते हैं कि हमारे देश की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियां आधुनिक विज्ञान के साथ मिलकर बुजुर्ग रोगियों के जीवन में वास्तविक और स्थायी परिवर्तन ला सकती है।
– प्रो. मीनाक्षी धर, विभागाध्यक्ष जेरियाट्रिक मेडिसिन व शोध निर्देशक

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