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आज से डाक कांवड़ शुरू, 23 जुलाई तक पांच दिन डाक कांवड़ियों की भीड़ से गुलजार रहेगा बैरागी कैंप

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हरिद्वार, 18 जुलाई। कांवड़ मेला पूरे चरम पर पहुंच चुका है। पैदल कांवड़ के बाद अब डाक कांवड़ यात्रियों का सैलाब हरिद्वार पहुंच रहा है। अब अगले पांच दिनों तक कनखल का बैरागी कैंप क्षेत्र पूरी तरह डाक कांवड़ियों के हवाले हो जाएगा। डाक कांवड़ वाहनों को यहां भेजा जाएगा और फिर सिंहद्वार से इन्हें रवाना किया जाएगा।

कांवड़ यात्रियों की आस्था से टूट रहे सारे रिकार्ड


अगले पांच दिनों तक अब बैरागी कैंप डाक कांवड़ यात्रियों से गुलजार रहेगा। कांवड़ यात्रियों की आस्था इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है। 10 जुलाई से लेकर बुधवार तक एक करोड़ 16 लाख 90 हजार शिवभक्त गंगाजल लेकर अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना हो चुके हैं, इनमें हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के श्रद्धालुओं की संख्या सबसे अधिक रही।

22 जुलाई तक चलेगा डाक कांवड़ियों का सिलसिला


पिछले साल पांच दिनों का कांवड़ियों का आंकड़ा सिर्फ 49 लाख 40 हजार ही रहा था। अब शुक्रवार से डाक कांवड़ के वाहन आने शुरू हो जाएंगे। यह सिलसिला 22 जुलाई तक चरम पर रहेगा। इस दौरान हरिद्वार में हर रोज़ लाखों की संख्या में डाक कांवड़िए पहुंचेंगे। बाइक, कार और ट्रकों में बड़ी संख्या में यात्री पहुंचेंगे। बता दें कि कुंभ, अर्द्धकुंभ के अलावा स्नान पर्वों और कांवड़ मेले में प्रशासन बैरागी कैंप का उपयोग करता है।

साल 2012 में पुलिस कप्तान रहे आईपीएस अरुण मोहन जोशी ने शहर को भीड़ और जाम से बचाने के लिए बैरागी कैंप में भीड़ नियंत्रण के लिए डाक कांवड़ वाहनों की व्यवस्था कराई थी। ये कारगर साबित होने के बाद से अब हर साल ये व्यवस्था की जा रही है।

क्या होती है डाक कांवड़
श्रावण मास के शुरू होते ही भोले के भक्त कांवड़ यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं. इस दौरान कांवड़िए 4 पवित्र नदियों का जल कांवड में एकत्रित करके सावन शिवरात्रि के दिन अपने गृहनगर में शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. इस कांवड यात्रा में एक विशेष तरह की परंपरा निभाई जाती है, जिसे डाक कांवड़ कहते हैं. डाक कांवड़ के कुछ नियम होते हैं, जैसे डाक कांवड़ में जल भरने के बाद विश्राम नहीं किया जाता है, इस दौरान शिव भक्त तेज गति से चलते और दौड़ते हैं, डाक कांवड़ में जल भरने से लेकर ले जाने तक का काम नंगे पैर किया जाता है, डाक कांवड़ के लिए गंगाजल लेने कांवड़िए हरिद्वार, गंगोत्री और गढ़मुक्तेश्वर जैसे पवित्र स्थलों पर जाते हैं.

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