गणपति बप्पा मोरया के जयघोष से गूंजी द्रोणनगरी, ढोल नगाड़ों के साथ मूर्ति विसर्जन

देहरादून। पूरे देश के साथ आज उत्तराखंड में गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन सम्पन्न हो गया। गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ के जयघोषों से द्रोणनगरी की सड़कें गूंज उठी। शहर में विभन्न गणेश उत्सव समितियों ने शोत्रायात्रा निकालकर बप्पा की मूर्ति का विसर्जन किया।
अनंत चतुर्दशी पर गणपति का विसर्जन क्यों
अनंत चतुर्दशी पर गणेश का विसर्जन शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का विसर्जन करने से पुण्य लाभ मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। गणेशोत्सव जो 10 दिन तक चलता है वह अनंत चतुर्दशी को ही समाप्त होता है।
द्रोणवाटिका से सहस्त्रधारा तक बप्पा की गूंज
गणपति बप्पा मोरपा, मंगल मूर्ति होया….., देवा हो देवा जय गणेश देवा… के जयघोषों से गणेश उत्सव का समापन यानि गणपति विसर्जन कर दिया गया। पूजा-अर्चना के बाद गणेश जी को मोदक और फल का भोग लगाया गया। इसके साथ ही गणेश जी उतारी गयी और उनसे विदा लेने के लिए प्रार्थना की गयी। तत्पश्चात पूजा स्थल से गणपति महाराज की प्रतिमा को सम्मानपूर्वक उठाकर रखा गया। इस अवसर पर बप्पा की मूर्ति के आगे भक्तों ने झूमकर नृत्य किया। गणपति की शोभायात्रा गीत संगीत औ्रर गणपति के जयकारों के साथ द्रोणवाटिका कालोनी से होते हुए सहस्त्रधारा पर सम्पन्न हुई। जिसमें द्रोणवाटिका कालोनी के तमाम गणमान्य लोग शामिल रहे। इस दौरान गणेश जी को भव्य रूप से सजाकर उनकी पूजा की गयी। इसके बाद गणेश जी की मूर्ति को ढोल नगाड़ों के साथ विधिविधान से पूजा कर गंगा में विसर्जित कर दिया गया। यजमानों ने विधिवत भगवान गणेश की पूजा कर सुख समृद्धि का आशीर्वाद लिया।
गणेश विसर्जन का महत्व
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और समृद्धि का देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं।