
देहरादून। चार दिन चलने वाले छठ पूजा का महापर्व आज नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। छठ पूजा को लेकर सभी जगह तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बिहारी महासभा और पूर्वा सांस्कृतिक मंच समेत कई अन्य संगठन छठ पर्व को लेकर अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं।
छठी माता व सूर्य देव की उपासना का पर्व पूर्वी भारत में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। देहरादून में भी पूर्वांचल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। 28 अक्टूबर यानि आज नहाय खाय के साथ छठी मैया की शुरुआत होगी, 29 को खरना और 30 अक्टूबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य और 31 अक्टूबर को उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही छठी मैया का व्रत संपन्न हो जायेगा। शारदा सिन्हा की आवाज में छठी मैया का मशहूर गीत…
दून में टपकेश्वर, मालदेवता, रायपुर, चंद्रबनी, गोविंदगढ़, प्रेमनगर, ब्रह्मपुरी समेत कई जगहों पर विभन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। महापौर सुनील उनियाल गामा का कहना था कि छठ पूजा को लेकर सभी जगहों पर साफ-सफाई और लाइट की पूरी व्यवस्था के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि छठ केवल लोक आस्था का नहीं, बल्कि प्रकृति के करीब जाने औ गांव-घर लौटने का पर्व भी है।
खरना के दिन उपवास शुरू होता है और परिवार की श्रेष्ठ महिला 12 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को छठी माता को बूरा वाली खीर और रोटी से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके बाद इसी से महिलाएं अपने व्रत का पारण करती हैं। व्रत को श्रेष्ठ महिला के अलाया अन्य महिलाएं और पुरुष भी कर सकते हैं। खरना के उपवास खोलते ही महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं। पहले अर्घ्य के दिन बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है। शाम के वक्त व्रती महिलाएं नदी किनारे घाट पर एकत्र होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। https://www.facebook.com/Sarthak_Pahal-101257265694407/
छठी मैया के गीतों की बहार
चार दिन तक चलने वाले छठी मैया के पारंपरिक गीत कांच की बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए, जल्दी-जल्दी उग हे सूरज देव.., कइलीं बरतिया तोहार हे छठ मइया आदि से पूरा माहौल ही छठ के रंग में रंगा रहता है।
पूर्वा सांस्कृतिक मंच छठ पूजा के लिए तैयार
छठ पर्व के आयोजन को लेकर पूर्वा सांस्कृतिक मंच ने बुधवार को बैठक की थी। जिसमें चार दिन तक चलने वाले इस पर्व के लिए पदाधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गयी। मंच के संस्थापक सुभाष झा ने बताया कि बैठक में मंच के देहरादून के आसपास के 11 जगहों के घाटों की व्यवस्था को लेकर विचार-विमर्श किया गया।