उत्तराखंड के स्नातक, स्नातकोत्तर छात्रों के लिए भी छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत

देहरादून। हाईस्कूल और इंटर के छात्र-छात्राओं की तर्ज पर अब राज्य के स्नातक एवं स्नातकोत्तर के मेधावी छात्रों को भी छात्रवृत्ति मिलने जा रही है। 12वीं पास जो युवा 80 प्रतिशत से अधिक अंकों वाले हैं, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए सरकारी डिग्री कॉलेज या सरकारी विवि में दाखिले पर ग्रेजुएशन प्रथम वर्ष से ही छात्रवृत्ति दी जाएगी। स्नातकोत्तर पाठयक्रम के आखिर में प्राप्तांकों का कुल प्रतिशत निकाला जाएगा तथा प्रथम तीन स्थानों पर रहने वाले छात्रों को एक मुश्त प्रोत्साहन राशि के रूप में 60 हजार, 35 हजार और 25 हजार रुपये दिए जाएंगे। पात्र छात्रों को छात्रवृत्ति प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए दो किश्तों में दी जाएगी। बुधवार को राज्य कैबिनेट में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में 13 प्रस्ताव पास किये गये।
योजना की शुरुआत 2023-24 सत्र से होगी
योजना की शुरुआत 2023-24 से की जायेगी। स्नातक प्रथम वर्ष में प्राप्त होने वाली छात्रवृत्ति के लिए इंटर स्तर पर कम से कम 80 प्रतिशत, जबकि अगले सालों के न्यूनतम 60 प्रतिशत प्राप्त करने तथा 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए। योजना के तहत स्नातक स्तर पर प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ वर्ष में प्रत्येक महाविद्यालय, राज्य के विवि के प्रत्येक संकाय में कम से कम 60 फीसदी अंकों के साथ प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को क्रमश: तीन हजार, दो हजार और पंद्रह सौ रुपये मासिक छात्रवृत्ति दी जायेगी। दो वर्षीय पीजी कोर्स करने वाले छात्र-छात्राओं को पीजी के अंतिम वर्ष में प्रथम वर्ष के प्राप्तांकों के आधार पर क्रमश: पांच हजार, तीन हजार और दो हजार प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जायेगी।
ग्रेजुएशन अंतिम वर्ष और पीजी अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के बाद प्राप्त अंकों के आधार पर ऐसे छात्र-छात्राओं का चयन किया जाएगा, जिन्होंने अपने कॉलेज-विवि में संबंधित संकाय में स्नातक स्तर पर कुल परिणाम के आधार पर न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों के साथ प्रथम, द्वितीय या तृतीय स्थान हासिल किया हो। https://sarthakpahal.com/
छात्रवृत्ति के लिए समर्थ पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य
छात्रवृत्ति के लिए छात्रों को समर्थ पोर्टल पर अपना पंजीकरण करते हुए आवेदन करना अनिवार्य होगा। छात्रवृत्ति की राशि दो किश्तों में छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में सीधे भेजी जाएगी। इस योजना के लिए हर साल 17 करोड़ रुपये खर्च होंगे।