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2000 रुपये से ज्‍यादा के UPI ट्रांजेक्‍शन पर GST नहीं, सरकार ने कहा- ऐसी कोई योजना नहीं

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नई दिल्ली, 19 अक्टूबर। पिछले कुछ समय से 2000 रुपये से ज्‍यादा के UPI लेनदेन पर GST लगाए जाने को लेकर काफी चर्चा हो रही है. इस खबर ने व्‍यक्तिगत यूजर्स और छोटे कारोबारियों समेत कई यूपीआई यूजर्स को हैरान किया है. अब इसे लेकर सरकार ने स्‍पष्‍टीकरण जारी किया है. मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसे दावे पूरी तरह से झूठे, भ्रामक और निराधार हैं. सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है.
कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कहा जा रहा था कि सरकार 2000 रुपये से ज्‍यादा के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी (GST on UPI Transaction) लगाने की योजना बना रही है. सोशल मीडिया पर चर्चा के बाद, केंद्रीय डायरेक्‍ट टैक्‍स और सीमा शुल्क बोर्ड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डिजिटल भुगतान पर GST लगाने के सरकार के रुख को स्पष्ट किया.
सरकार का नहीं है ऐसा कोई प्‍लान 
CBIC ने कहा कि UPI ने ग्रामीण समुदायों में लोगों के भुगतान करने और पैसा पाने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव किया है, जिससे कैश की आवश्यकता समाप्त हो गई है. पोस्‍ट में कहा कि सरकार 2000 रुपये से ज्‍यादा के UPI ट्रांजेक्‍शन पर GST लगाने पर विचार किए जाने के दावे पूरी तरह से झूठे, भ्रामक और निराधार हैं. अभी सरकार का ऐसा कोई प्‍लान नहीं है.
सिर्फ एमडीआर पर लगता है जीएसटी
जीएसटी कुछ उपकरणों का उपयोग करके किए गए भुगतान से संबंधित मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) जैसे शुल्कों पर लगाया जाता है. जनवरी 2020 से प्रभावी, CBDT ने 30 दिसंबर 2019 के राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) UPI लेनदेन पर एमडीआर हटा दिया है. चूंकि वर्तमान में यूपीआई लेनदेन पर कोई एमडीआर नहीं लिया जाता है, इसलिए इन लेनदेन पर कोई जीएसटी लागू नहीं है.
यूपीआई को सपोर्ट कर रही सरकार
सरकार यूपीआई पर कर नहीं लगा रही, बल्कि उसे बढ़ावा दे रही है. झूठे दावों के विपरीत, सरकार डिजिटल भुगतान, खासकर कम मूल्य वाले यूपीआई लेनदेन को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है. इसे समर्थन देने के लिए, वित्त वर्ष 2021-22 से यूपीआई प्रोत्साहन योजना लागू की गई है. वित्त वर्ष 2021-22: 1,389 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2022-23: 2,210 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2023-24: 3,631 करोड़ रुपये प्रोत्‍साहन दिया गया. ये भुगतान व्यापारियों के लिए लेनदेन लागत को कवर करने में मदद करते हैं, जिससे डिजिटल भुगतान में व्यापक स्वीकृति और नवाचार को बढ़ावा मिलता है.

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