देश-विदेशबड़ी खबरमनोरंजनयूथ कार्नरराजनीतिशिक्षासामाजिक

JNU छात्रसंघ चुनाव में वाम दलों का परचम, 10 साल बाद ABVP ने लेफ्ट के गढ़ में की सेंधमारी

Listen to this article

नई दिल्ली, 27 अप्रैल। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) चुनाव 2024-25 में वामपंथी गठबंधन ने चार में से तीन शीर्ष पदों पर कब्जा करके अपना दबदबा कायम रखा, जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने बड़ी बढ़त हासिल की। यह जीत जेएनयू की छात्र राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रही है।

एबीवीपी ने की बड़ी वापसी
JNU छात्रसंघ में नीतीश कुमार (आइसा) अध्यक्ष चुने गए, मनीषा (डीएसएफ) ने उपाध्यक्ष पद जीता और मुन्तेहा फातिमा (डीएसएफ) ने महासचिव का पद हासिल किया। हालांकि, छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने संयुक्त सचिव पद जीतकर एक दशक से चले आ रहे सूखे को खत्म किया, जिसमें वैभव मीना विजयी हुए।

पांच हजार छात्रों ने डाले वोट
कैंपस हिंसा के कारण देरी के बाद 25 अप्रैल को हुए चुनावों में लगभग 70 प्रतिशत लोगों ने उत्साहपूर्वक मतदान किया। लगभग 5,500 छात्रों ने अपने वोट डाले, इस चतुष्कोणीय मुकाबले में आइसा-डीएसएफ, एबीवीपी और एनएसयूआई-फ्रेटरनिटी गठबंधन ने नियंत्रण के लिए होड़ लगाई।

पार्षद चुनावों में एबीवीपी ने 42 में से 23 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया
पार्षद चुनावों में, एबीवीपी ने 42 में से 23 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया – 1999 के बाद से इसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। संगठन ने स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में जीत हासिल की और स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज, इंटरनेशनल स्टडीज और संस्कृत और इंडिक स्टडीज में उल्लेखनीय बढ़त हासिल की।

ABVP के वैभव मीना ने कही ये बात
नवनिर्वाचित संयुक्त सचिव वैभव मीना ने कहा कि हमने एक दशक के बाद यह जीत हासिल की है, और अगले चुनाव में ABVP सभी चार सीटें जीतेगी। विद्यार्थी परिषद का कहना है कि यह एक ऐतिहासिक जीत है और यह चुनाव लड़ रहे किसी भी अन्य छात्र संगठन की तुलना में सर्वाधिक भी है। जेएनयू के विभिन्न स्कूलों और केंद्रों में एबीवीपी के प्रदर्शन की बात करें तो स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में 5 काउंसलर पदों में से 2 सीटों पर विद्यार्थी परिषद की विजय हुई है। स्कूल ऑफ सोशल साइंस की 5 काउंसलर सीटों में से 2 सीटों पर विद्यार्थी परिषद ने जीत दर्ज की है।

वामपंथ का गढ़ में सेंधमारी
विद्यार्थी परिषद के मुताबिक इस चुनाव में उन्होंने दो ऐतिहासिक सफलताएं अर्जित की हैं। पहली सफलता स्कूल ऑफ सोशल साइंस में मिली है। इसे जेएनयू में वामपंथ का गढ़ माना जाता रहा है, यहां ‘अभाविप’ ने 25 वर्षों बाद दो सीटों पर विजय प्राप्त कर एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत दिया है। इसी प्रकार दूसरी सफलता स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में मिली है। यह केंद्र भी लंबे समय से वामपंथी प्रभाव का प्रमुख केंद्र रहा है। हालांकि इस बार हुए छात्रसंघ चुनाव में यहां भी एबीवीपी ने दो सीटों पर विजय हासिल कर नई राजनीतिक धारा को स्थापित किया है।

छात्रों के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे: मुन्तहा फातिमा
नवनिर्वाचित महासचिव मुन्तहा फातिमा ने कहा कि यहां हमेशा लेफ्ट यूनिट जीती है। हमें शिक्षा के केन्द्रीयकरण और निजीकरण के खिलाफ लड़ना है… हम छात्रों के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे।

मनीषा (डीएसएफ) ने उपाध्यक्ष पद जीता
नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष मनीषा ने कहा कि इस जीत पूरे विश्वविद्यालय की जीत है। ये बाबा साहब की जीत है, उनके सपने की जीत है। जेएनयू लाल था और लाल ही रहेगा… हमने हमेशा छात्रों के लिए काम किया और उनकी आवाज उठाई, और हम भविष्य में भी यह काम करते रहेंगे।

आईसा से चुने गए अध्यक्ष नीतीश कुमार
आईसा से चुने गए अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि इस कैंपस में लगातार फंड काटा जा रहा है। हम सरकार के खजाने से खींच कर फंड लाएंगे। कैंपस के आधारभूत संरचना को जो बर्बाद किया गया है उसको बेहतर किया जाएगा। जेएनयू प्रवेश परीक्षा के अपने मॉडल को दोबारा शुरू किया जाएगा। इस कैंपस का वामपंथ का आंदोलन खड़ा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button