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नेशनल जूनियर पिट्टू चैंपियनशिप आज से देहरादून में, 24 राज्यों के 700 खिलाड़ी लेंगे भाग

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देहरादून, 17 जून। 18 जून से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में नेशनल जूनियर पिट्टू चैंपियनशिप की शुरू होने जा रही हैं. इस नेशनल चैंपियनशिप में 24 राज्यों के करीब 700 खिलाड़ी व ऑफिशियल प्रतिभाग करेंगे. में नेशनल जूनियर पिट्टू चैंपियनशिप का शुभांरभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे.

उत्तराखंड पिट्टू एसोसिएशन के सचिव अश्वनी भट्ट के मुताबिक फेडरेशन ने जून में नेशनल चैंपियनशिप कराने का मौका दिया है. राजधानी देहरादून चैंपियनशिप का भव्य आयोजन होगा. इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है. उनका कहना है कि काफी कम समय में उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने पिट्टू में शानदार प्रदर्शन किया है. हाल ही में इंदौर में हुए नेशनल सब जूनियर चैंपियनशिप में उत्तराखंड की बालक वर्ग की टीम ने रजत हासिल किया.

भारत का पारंपरिक खेल है पिट्टू
बता दें पिट्ठू भारत का एक पारंपरिक खेल है. इसे मनोरंजन के अलावा प्रतियोगिता और खेल के मानकों पर ग्राउंड पर उतारते हुए आधुनिक पिट्टू की शुरुआत की गई है. नेशनल पिट्टू फेडरेशन अब तक पांच सीनियर चैंपियनशिप के अलावा दो जूनियर चैंपियनशिप करवा चुकी है. आधुनिक पिट्टू खेल में मध्य प्रदेश का प्रदर्शन अब तक सबसे बेहतर रहा है. सीनियर चैंपियनशिप में मध्य प्रदेश तीन बार चैंपियन रह चुका है. दो बार हुई जूनियर चैंपियनशिप में मध्यप्रदेश एक बार चैंपियन रह चुका है.

कैसा खेला जाता है आधुनिक पिट्टू
आधुनिकता के दौर में एक और जहां खेलों का स्वरूप बदला है, वहीं गली मोहल्लों में खेले जाने वाला पिट्टू खेल भी आधुनिक रूप ले चुका है. सामूहिक रूप में खेले जाने वाले इस खेल के नियम और खिलाड़ियों की संख्या भी तय की गई है. अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से खेले जाने वाले पिट्टू को पिट्टू फेडरेशन ऑफ इंडिया ने एकरूपता देते हुए नियम बनाए हैं. नियमों के अनुसार एक टीम में अधिकतम 10 खिलाड़ी हो सकते हैं. इनमें से छह खिलाड़ी अंदर खेल सकते हैं. चार खिलाड़ी चेंज के लिए होते हैं.

इसके लिए कोर्ट का साइज भी तय किया किया गया है. कोर्ट के चौड़ाई 14 मीटर और लंबाई 26 मीटर होती है. जिसमें एक सेंटर लाइन होती है. उसके दोनों साइड तीन-तीन मीटर की दूरी पर डेंजर लाइन होती है. जिसके अंदर डिफेंडर टीम के खिलाड़ी का जाना वर्जित रहता है. वह तभी उसके अंदर जा सकता है. जब बॉल उस क्षेत्र में स्थिर अवस्था में आ जाती है। एक साइड की डेंजर लाइन के एक मीटर दूरी पर स्ट्राइक जोन होता है. जहां से खिलाड़ी पिट्टू को बिखेरने का प्रयास करता है.

आधुनिक पिट्टू के नियम
पिट्टू सेट में अलग-अलग आकार के सात पिट्टू होते हैं. जिसमें नीचे से छह पिट्टू 3.5 सेंटीमीटर के होते हैं. सबसे ऊपर वाला पिट्टू सात सेंटीमीटर का होता है. पिट्टू सेट की कुल ऊंचाई 28 सेंटीमीटर होती है. पिट्टू सेट के सभी पिट्टू में नंबर लिखे होते हैं. जिन्हें नीचे से ऊपर की ओर लगाना होता है. तभी अंक मिलते हैं. इसमें बॉल को पिट्टू पर मारने के लिए भी नियम हैं. पिट्टू फोड़ने के लिए खिलाड़ी अपने घुटने नहीं मोड़ सकता. हाथों को कंधे से पीछे नहीं ले जा सकता. खेल चार पारियों में खेला जाता है. प्रत्येक पारी का समय पांच मिनिट निर्धारित रहता है. इसमें जिस बॉल का प्रयोग किया जाता है वो रबर की बनी होती है. जिसका वजन 75 ग्राम से अधिक और 60 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए.देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/

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