
देहरादून। उत्तराखंड में अदला-बदली का खेल अभी भी जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मैदान से हटने के बाद से चर्चाओं में आई डोईवाला विधानसभा सीट पर बाहरी प्रत्याशी उतारे जाने की संभावना के बाद स्थानीय भाजपाई विरोध में उतर आए थे। बृज भूषण गैरोला को यहां से मैदान में उतारा गया है। ये सीट पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह की रही है। डोईवाला से दीप्ति रावत को प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना के चलते स्थानीय टिकट के दावेदार विरोध कर रहे थे। दबाव में आकर पार्टी ने गैरोला को टिकट दिया है। डोईवाला सीट पर पहली बार कांग्रेस और भाजपा ने स्थानीय प्रत्यशियों को मैदान में उतारा है।
स्थानीय लोग कर रहे थे विरोध
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मैदान से हटने के बाद से चर्चाओं में आई डोईवाला विधानसभा सीट पर बाहरी प्रत्याशी उतारे जाने की संभावना के बाद स्थानीय भाजपाई विरोध में उतर आए थे। उन्होंने बाहरी प्रत्याशी थोपे जाने पर इसका कड़ा विरोध करने का फैसला किया था। टिकट के स्थानीय दावेदारों के बागी तेवरों से पार्टी भी दुविधा में थी और टिकट का एलान नहीं कर पा रही थी।
डोईवाला सीट पर नजर डाली जाए तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही ये भाजपा का गढ़ रही है। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में त्रिवेंद्र सिंह रावत यहां से विजयी रहे थे। हालांकि, 2002 के चुनाव में उनकी जीत का अंतर 1536 वोट और 2007 में 14127 वोट का था। 2012 के चुनाव में त्रिवेंद्र को पार्टी ने रायपुर सीट पर चुनाव और डा. रमेश पोखरियाल निशंक को डोईवाला सीट पर उतारा। निशंक ने चुनाव जीतकर भाजपा की झोली में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। हालांकि 2017 में हुए चुनाव में फिर त्रिवेंद्र ने यह सीट वापस पार्टी के खाते में डाल दी थी।
https://www.facebook.com/Sarthak_Pahal-101257265694407/