ज्ञानवापी में शिवलिंग की पूजा का अविमुक्तेश्वरानंद का ऐलान
वाराणसी। ज्ञानवापी में शिवलिंग की पूजा करने का अविमुक्तेश्वरानंद ने घोषणा कर दी है। द्वारका व ज्योतिर्मठ के पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद का शनिवार को ज्ञानवापी में शिवलिंग की पूजा के निर्णय से फिर धर्मसंकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। उनका कहना है जब भगवान शिव प्रकट हो गए हैं तो उनका पूजन-अर्चन, राग-भोग होना ही चाहिए। शनिवार को वह कब, कैसे मस्जिद में प्रवेश करेंगे, इसकी जानकारी आज दी जायेगी।
उनका कहना है कि शास्त्रों में प्रभु के प्रकट होते ही दर्शन कर उनकी स्तुति का, राग-भोग, पूजा-आरती कर भेंट चढ़ाने का नियम है। परंपरा को जानने वाले सनातनियों ने तत्काल पूजा को न्यायालय से अनुमति मांगी, लेकिन अदालत ने कोई निर्णय नहीं दिया। भगवान की पूजा, राग-भोग एक दिन भी रोका नहीं जानी चाहिए।
संविधान के अनुसार देवता भी तीन वर्ष के बालक
शास्त्रों में यह लिखा है कि देवता को एक दिन भी बिना पूजा के नहीं छोड़ना चाहिए। संविधान में उल्लिखित है कि कोई भी प्राण प्रतिष्ठित देवता तीन वर्ष के बालक जैसे होते हैं। जिस प्रकार बालक को बिना स्नान, भोजन के नहीं छोड़ा जा सकता, उसी प्रकार देवता को भी राग-भोग आदि उपचार पाने का संवैधानिक अधिकार है।
शिवलिंग को फव्वारा बताकर मुस्लिम भी कर रहे समर्थन
मुस्लिम भगवान शिव को नहीं जानते और न ही उनको मानते हैं। ऐसे में वे अबोध हमारे भगवान शिव को फव्वारा कहकर स्वयं सिद्ध कर रहे हैं कि वे ही भगवान शिव हैं। हमने मुगलों की इमारतों में अनेक फव्वारे देखो पर एक भी शिवलिंग के आकार नहीं मिला।
शनिवार को स्वयं करेंगे आदि विश्वेश्वर का पूजन
हमारे शास्त्रों में स्थाप्यं समाप्यं भौमवारे अर्थात शनिवार को शुभ दिन कहा गया है। प्रकट हुए स्वयंभू आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान के पूजन के लिए शनिवार का दिन अत्यंत उत्तम है।