देहरादून। केवल मार्च महीने में सरकार ने 27 सौ करोड़ रुपये खर्च किये। करोड़ों रुपये का आम बजट भले ही वित्तीय वर्ष की शुरुआत से होता है, लेकिन उत्तराखंड सरकार इसे आखिरी महीने मार्च में खर्च करने में यकीम करती है। सीएजी की रिपोर्ट से इस यह खुलासा हुआ है कि 20 विभागों ने बजट का 69 फीसदी से ज्यादा खर्ज केवल मार्च में कर डाला।
दो विभागों का तो पूरा बजट मार्च में ही निपटा
प्रदेश में दो विभाग ऐसे हैं जिनका 100 फीसदी बजट केवल मार्च में ही खर्च किया गया। ऊर्जा विभाग का 11 करोड़ 38 लाख रुपये का बजट था, जोकि आखरी महीने मार्च में निपटाया गया। इसी तरह दूरसंचार इलेक्ट्रानिक्स उद्योग पर पूंजीगत परिव्यय का 2 करोड़ 86 लाख रुपये केवल मार्च में खर्च किया गया।
कर्ज के बोझ में दबी उत्तराखंड सरकार
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड सरकार कर्ज के जाल में बुरी तरह फंसती जा रही है। हालत यह हैं कि अपनी जरूरतों के लिए हर साल वह जो कर्ज ले रही है, उसके 71 फीसदी के बराबर राशि उसे पुरानी उधारी और उस पर ब्याज चुकाने में खर्च करनी पड़ रही है। सीएजी भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक की लेखापरीक्षा रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक बकाया कर्ज में 13.66 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है। 2016-17 से 2020-21 की अवधि में राज्य सरकार ने 29,168 करोड़ ऋण लिया था। 2020 तक राज्य पर 73,751 करोड़ कर्ज था, जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 30.05 प्रतिशत आंका गया।
42 हजार करोड़ से अधिक का हिसाब नहीं
वर्ष 2005-06 से 2019-20 तक की विधानसभा से पारित अनुदान के अलावा खर्च की गयी 42 हजार 873 करोड़ धनराशि का अब तक हिसाब नहीं दिया गया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में इसका प्रमुखता से जिक्र किया है।