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बच्चों को कक्षा 9 के बजाय छोटी उम्र से ही यौन शिक्षा दी जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर। बच्चों को यौन शिक्षा दिए जाने को लेकर लंबे समय से विमर्श होता रहा है. कई पक्ष इसके समर्थन में हैं तो कई इसे खारिज करते हैं. हालांकि कई एक्सपर्ट सही समय पर बच्चों को यौन शिक्षा दिए जाने की वकालत करते हैं. इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को यौन शिक्षा दिए जाने को लेकर अहम टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों को कक्षा 9 के बजाय छोटी उम्र से ही यौन शिक्षा दी जानी चाहिए.

बच्चों को हार्मोनल बदलावों के बारे में जागरूक करना जरूरी
सुप्रीम कोर्ट मेंन्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने बच्चों को यौन शिक्षा दिए जाने पर ये टिप्पणी की है. पीठ ने कहा किहमारा मानना ​​है कि बच्चों को यौन शिक्षा छोटी उम्र से ही दी जानी चाहिए, न कि कक्षा नौ से. पीठ ने कहा कि यह संबंधित प्राधिकारों की जिम्मेदारी है कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए सुधारात्मक उपाय करें, ताकि बच्चों को तरुणाई के बाद शरीर में होने वाले बदलावों और उनसे जुड़ी देखभाल एवं सावधानियों के बारे में जानकारी मिल सके.

सुप्रीम कोर्ट मेंन्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने कहा कि यौन शिक्षा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में पाठ्यक्रम का हिस्सा होनी चाहिए, ताकि बच्चों और किशोरों को यौवन के साथ आने वाले हार्मोनल बदलावों के बारे में जागरूक किया जा सके.

इस मामले में सुप्रीम काेर्ट ने की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) तथा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉस्को) अधिनियम की धारा-छह (गंभीर यौन हमला) के तहत आरोपों का सामना कर रहे 15 साल के एक किशोर को जमानत देते हुए ये टिप्पणियां कीं. सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपी को नाबालिग बताते हुए उसे किशोर न्याय बोर्ड की ओर से निर्धारित शर्तों के तहत जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है.

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